भोपाल। नगरीय निकाय चुनाव में भले ही बीजेपी के लिए कई निकायों में बेहतर रिजल्ट आए हों, लेकिन ग्वालियर अंचल में बीजेपी कमजोर हुई है. करीब 57 साल बाद ग्वालियर नगर निगम बीजेपी गंवा चुकी है और केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के गृह क्षेत्र मुरैना में भी 24 साल बाद कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. मुरैना में कांग्रेस उम्मीदवार शारदा सोलंकी ने बीजेपी की मीना जाटव को बड़े अंतर से हराया. विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे इन चुनावों को बीजेपी ने पूरी ताकत से लड़ा, फिर भी उम्मीदों पर पानी फिर गया. इस इलाके में बीजेपी क्यों कमजोर हुई, इलाके के दो महत्वपूर्ण नगर निगम चुनाव कैसे हार गए. आगामी विधानसभा चुनाव के लिए लिटमस टेस्ट माने जा रहे ये नतीजे बीजेपी के लिए चिंता की वजह माने जा रहे हैं. ग्वालियर -चंबल इलाके में बीजेपी के कमजोर होने के पीछे एक अहम वजह सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद मचे अंदरूनी घमासान और आपसी समन्वय न बन पाने को माना जा रहा है.
ग्वालियर चंबल इलाके में क्यों कमजोर हुई BJP
शिवराज, तोमर, सिंधिया ने संभाल था मोर्चा : ग्वालियर नगर निगम के बाद चंबल की मुरैना नगर निगम में भी बीजेपी की स्थिति कमजोर हुई है. चंबल नगर निगम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव की कमान संभाले हुए थे. इसके बाद भी बीजेपी कांग्रेस पर भारी साबित नहीं हो सकी. इससे पहले ग्वालियर नगर बीजेपी पहले ही गंवा चुकी है. राजनीति के जानकार ग्वालियर चंबल इलाके में बीजेपी के कमजोर होने के पीछे सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद मचे घमासान को मान रहे हैं. राजनीतिक विश्लेष्क अजय बोकिल के मुताबिक ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद अंदरूनी घमासान मचा हुआ है. इसकी वजह से निकाय चुनाव में पाटी के भीतर अंदरूनी समन्वय ही नहीं बन पाया. नतीजों से पार्टी और उससे ज्यादा सिंधिया को नुकसान पहुंचा है. ये मैसेज जाएगा कि सिंधिया का प्रभाव कम हो रहा है.
ग्वालियर चंबल इलाके में क्यों कमजोर हुई BJP
ग्वालियर में कांग्रेस को मिला बूस्टर डोज : जानकारों के मुताबिक निकाय चुनाव में ग्वालियर- चंबल इलाके में नतीजों से कांग्रेस को बूस्टर डोज मिला है. सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद यह मैसेज गया था कि कांग्रेस ग्वालियर- चंबल इलाके में खत्म हो जाएगी, लेकिन सिंधिया के बिना कांग्रेस ने जीत दर्ज कर इस मिथक को तोड़ दिया है. राजनीति के जानकार केडी शर्मा कहते हैं कि यह नतीजे आगामी विधानसभा चुनावों के लिहाज से अहम हैं. पिछले निकाय चुनाव में बीजेपी का सभी 16 निकाय में कब्जा था, लेकिन इस बाद कांग्रेस 5 निगमों में कब्जा जमाने जा रही है. इन नतीजों के हिसाब से देखें तो यह 2018 के विधानसभा चुनाव जैसे ही नतीजे हैं.
ग्वालियर चंबल इलाके में क्यों कमजोर हुई BJP
कांग्रेस के लिए इसलिए अहम माने जा रहे नतीजे : पिछले चुनावों में मुरैना नगर निगम पर बीजेपी का कब्जा था. हालांकि मुरैना विधानसभा चुनाव 2018 और 2020 में मामूली अंतर से कांग्रेस ही जीती थी. इस बार मुरैना नगर निगम में फिर कांग्रेस ने बढ़त बनाई. करीब 57 साल बाद ग्वालियर नगर निगम पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया. ग्वालियर इलाके में सिंधिया का प्रभाव रहा है, लेकिन सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद भी निकाय चुनाव में बीजेपी को इसका फायदा नहीं मिला. ग्वालियर-चंबल इलाके से गृहमंत्री मंत्री नरोत्तम मिश्रा, अरविंद भदौरिया, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव में सक्रिय रहे. मुख्यमंत्री ने कमान संभाले रखी, इसके बाद भी बेहतर नतीजे नहीं आए.