उद्धव की शिंदे से गुजारिश:सामने आकर बात तो करिये…

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गुवाहाटी के होटल रेडिसन में बैठे एकनाथ शिंदे के सरकार और पूरी शिवसेना पर दावा ठोंकने के महज डेढ़ घंटे बाद मुंबई के सीएम हाउस मैं बैठे उद्धव ने फेसबुक लाइव किया। कहने को वे लोगों से बातें कर रहे थे, लेकिन सारी बातें शिंदे के नाम थीं।

उद्धव ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री, पार्टी अध्यक्ष समेत सभी पद छोड़ने को तैयार हूं। बस नाराज विधायकों की जो भी मांगें हैं, वो सामने आकर तो कहते। ये FB लाइव करीबन 18 मिनट का था।

“कुछ दिन पहले सर्जरी होने के कारण लोगों से मिल नही पाया, लेकिन इस वजह से कोई काम रुके नहीं। हिंदुत्व के लिए किसने क्या किया, यह बोलने की जरूरत नहीं, विधानसभा में हिंदुत्व पर बोलनेवाला मैं पहला मुख्यमंत्री था।
बालासाहब की शिवसेना और अब की शिवसेना में कोई फर्क नहीं, उन्हीं के विचार लेकर चल रहा हूं, आज भी हूं, पहले भी था और आगे भी हिंदू रहूंगा।

पिछले ढाई साल से मुख्यमंत्री हूं, तब से मेरे साथ बालासाहब की शिवसेना के हिंदू भी थे। उन्हें जो मिला, वो बालासाहब के बाद वाली शिवसेना ने ही उन्हें दिया ये याद रखें।

मेरा पास कोई अनुभव नहीं था, अलग रास्ता भी अपनाना पड़ा, जो भी हुआ.. वो सब को पता है। पवार साहब और तीन दलों की बैठक में पवार साहब ने कहा था, जिम्मेदारी आपको लेनी होगी। आप नहीं होंगे तो शिवसेना साथ नहीं चल पाएगी। कांग्रेस-राकांपा और शिवसेना को एकसाथ काम करना होगा तो आप ही नेतृत्व संभालें। पवार के कहने पर ही मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी ली। सोनिया भी फोन करती हैं। इसके पीछे मेरा कोई स्वार्थ नहीं है। इन सभी ने मुझे मदद की है।

इसमें मेरा स्वार्थ नहीं था। अलग रास्ता लेने के बाद भी उसका कुछ अर्थ होना चाहिए। सभी ने अनुभव ना होते हुए भी मुझे संभाला। लेकिन मेरे ही लोगों को अगर मेरा मुख्यमंत्री होने पसंद नहीं तो वो यहां आकर भी बोल सकते थे। सूरत में जाकर बोलने की क्या जरूरत थी।

मुख्यमंत्री पद छोड़ कर, वर्षा बंगला छोड़कर मैं मातोश्री जाने के लिए तैयार हूं। मुझे सत्ता का मोह नहीं। मेरे पास आकर ये बात रखनी चाहिए थी।

2014 का चुनाव हमने अपने दम पर और हिंदुत्व के मुद्दे पर लड़ा था। हमने उस वक्त भी कठिन परिस्थियों में चुनाव लड़ा था। इस बात का ध्यान रहे कि 2014 के बाद जो लोग बोल रहे हैं कि शिवसेना बाला साहेब ठाकरे वाली नहीं रही। वो लोग ध्यान रखें कि नई शिवसेना से ही हमें मंत्री पद मिले।

अभी विधानपरिषद का चुनाव हुआ। इसके बाद सभी विधायक एक होटल में थे। मैं वहां गया। वहां पर भी मैंने कहा था कि शिवसैनिक मेहनत करते हैं, जनता भरोसा करती है, लेकिन हमारे लोगों को साथ में रखने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है।

मुझे कुर्सी पर बैठने का मोह नहीं है। मैं जबरदस्ती इस कुर्सी पर नहीं बैठना चाहता। मगर जो कुछ भी कहना है, वो सामने आकर कहें। एक तरफ ये कहना कि मैं शिवसैनिक हूं और फिर ऐसा काम करना है। कहावत है कि कुल्हाड़ी में लकड़ी का हत्था लगा होता है और वही पेड़ काटता है। पार्टी से गद्दारी ठीक नहीं है।

शिंदे मुझसे बोलते तो मैं इस्तीफा दे देता। अगर आप चाहते हैं कि मैं सीएम की कुर्सी पर न रहूं तो बोलें। विधायक अगर मुझसे बोलते हैं तो मैं कुर्सी छोड़ दूंगा। जब तक शिवसैनिक मेरे साथ हैं मैं हर चुनौती का सामना करूंगा। जो कहते हैं कि मैं शिवसेना का नेतृत्व करने के लायक नहीं हूं तो मैं उन्हें तवज्जो नहीं देता।

मैं संकटों से जूझने वाला शिवसैनिक हूं। शिवसैनिक बोलें कि मैं पद छोड़ूं तो मैं छोड़ दूंगा। उद्धव ठाकरे नहीं चाहिए तो भी सही है, पर मेरे सामने आकर ये बात करो।

आप फेसबुक लाइव देख रहे हैं तो मुझे बताएं कि आप मुझे सीएम पद पर देखना नहीं चाहते। आप सामने आकर बात करें और मुझसे ये बात करें तो मैं पद छोड़ने को तैयार हूं। अगर सामने नहीं आ सकते तो फोन पर बात कर लीजिए।”

शिवसेना भवन में कल चहल-पहल थी, आज सन्नाटा पसरा
शिवसेना नेता संजय राउत ने देर शाम तक बड़ा उलटफेर होने की बात कही है। एक तरह से उन्होंने सत्ता जाने के संकेत दे दिए हैं। सुबह 11 बजे तक इक्का-दुक्का शिवसैनिक सेना भवन में मौजूद मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे थे, लेकिन जब हमने उनसे बात करने का प्रयास किया तो उन्होंने कैमरे पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया।

सेना भवन पर मंगलवार को डेढ़ हजार शिवसैनिक जुटे थे। वहीं आज यहां इक्का दुक्का शिवसैनिक ही नजर आए।
सेना भवन पर मंगलवार को डेढ़ हजार शिवसैनिक जुटे थे। वहीं आज यहां इक्का दुक्का शिवसैनिक ही नजर आए।

काफी प्रयास के बाद खुद को शिवसेना का पदाधिकारी बताने वाले उदय चौगले ने कहा, ‘अभी सुबह का समय है और ज्यादातर शिवसैनिक अपने जरूरी काम निपटा रहे हैं। जैसे-जैसे दिन बढ़ेगा वे यहां आएंगे। उदय ने कहा कि शिवसेना का कार्यकर्ता बाला साहब का निष्ठावान है। वह हर हाल में उद्धव ठाकरे के साथ खड़ा रहेगा।’

मौके पर मौजूद कुछ सुरक्षाकर्मियों ने बताया कि मंगलवार को शिंदे की बगावत की जानकारी मिलने के बाद यहां तकरीबन एक से डेढ़ हजार शिवसैनिक जमा हो गए थे। इनमें से कई काफी दुखी थे और उनका दर्द उनकी आंखों में देखा जा सकता था, लेकिन आज हमें एक भी कार्यकर्ता नजर नहीं आया।

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