गुरु तेग बहादुर का 400वां प्रकाश पर्व : लाल किले से पीएम का संबोधन, मजहबी कट्टरता पर किया प्रहार

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नई दिल्ली : गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व के उत्सव के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किला से देश को संबोधित किया. उन्होंने कहा, ‘अभी शबद कीर्तन सुनकर जो शांति मिली, वो शब्दों में अभिव्यक्त करना मुश्किल है. आज मुझे गुरु को समर्पित स्मारक डाक टिकट और सिक्के के विमोचन का भी सौभाग्य मिला है. मैं इसे हमारे गुरूओं की विशेष कृपा मानता हूं.’

उन्होंने देश की जनता को प्रकाश पर्व की बधाई देते हुए कहा, ‘मुझे खुशी है आज हमारा देश पूरी निष्ठा के साथ हमारे गुरुओं के आदर्शों पर आगे बढ़ रहा है. इस पुण्य अवसर पर सभी दस गुरुओं के चरणों में नमन करता हूं. आप सभी को, सभी देशवासियों को और पूरी दुनिया में गुरुवाणी में आस्था रखने वाले सभी लोगों को प्रकाश पर्व की हार्दिक बधाई देता हूं. ये लालकिला कितने ही अहम कालखण्डों का साक्षी रहा है. इस किले ने गुरु तेग बहादुर जी की शहादत को भी देखा है और देश के लिए मरने-मिटने वाले लोगों के हौसले को भी परखा है.’

उन्होंने कहा कि ये भारतभूमि, सिर्फ एक देश ही नहीं है, बल्कि हमारी महान विरासत है, महान परंपरा है. इसे हमारे ऋषियों, मुनियों, गुरुओं ने सैकड़ों-हजारों सालों की तपस्या से सींचा है, उसके विचारों को समृद्ध किया है. उस समय भारत को अपनी पहचान बचाने के लिए एक बड़ी उम्मीद गुरु तेगबहादुर जी के रूप में दिखी थी. औरंगजेब की आततायी सोच के सामने उस समय गुरु तेगबहादुर जी, ‘हिन्द दी चादर’ बनकर, एक चट्टान बनकर खड़े हो गए थे. उस समय देश में मजहबी कट्टरता की आंधी आई थी. धर्म को दर्शन, विज्ञान और आत्मशोध का विषय मानने वाले हमारे हिंदुस्तान के सामने ऐसे लोग थे, जिन्होंने धर्म के नाम पर हिंसा और अत्याचार की पराकाष्ठा कर दी थी.

उन्होंने कहा कि यहां लालकिले के पास में ही गुरु तेगबहादुर जी के अमर बलिदान का प्रतीक गुरुद्वारा शीशगंज साहिब भी है. ये पवित्र गुरुद्वारा हमें याद दिलाता है कि हमारी महान संस्कृति की रक्षा के लिए गुरु तेगबहादुर जी का बलिदान कितना बड़ा था. गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान ने, भारत की अनेकों पीढ़ियों को अपनी संस्कृति की मर्यादा की रक्षा के लिए, उसके मान-सम्मान के लिए जीने और मर-मिट जाने की प्रेरणा दी है. बड़ी-बड़ी सत्ताएं मिट गईं, बड़े-बड़े तूफान शांत हो गए, लेकिन भारत आज भी अमर खड़ा है, आगे बढ़ रहा है.

उल्लेखनीय है कि वे आजाद भारत के इकलौते ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जो सूर्यास्त के बाद लाल किले से राष्ट्र को संबोधित कर रहे हैं. प्रधानमंत्री के संबोधन से पहले 400 सिख संगीतकार ‘शबद कीर्तन’ किया गया. उधर, लंगर का भी आयोजन किया गया है. मौके पर इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी एक विशेष सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया.

संस्कृति मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि किले को आयोजन स्थल के रूप में इसलिए चुना गया है, क्योंकि यहीं से 1675 में मुगल शासक औरंगजेब ने सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर की जान लेने का आदेश दिया था. अधिकारियों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी रात में साढ़े नौ बजे देश को संबोधित करेंगे. उनके भाषण में विभिन्न धर्मों और समुदायों के बीच सौहार्द पर जोर रहेगा.

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