दिल्ली में बीएल संतोष से मिले योगी:मुलाकातों का दौर शुरू, मोदी-शाह-नड्‌डा के साथ मंथन के बाद तय होगी यूपी कैबिनेट

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दिल्ली: यूपी में बड़ी जीत के बाद आज पहली बार योगी आदित्यनाथ दिल्ली पहुंच चुके हैं। हिंडन से वह सीधा यूपी सदन पहुंचे। उसके बाद वह बीएल संतोष के यहां पहुंचे। इसके बाद उपराष्ट्रपति, पीएम मोदी, जेपी नड्‌डा और अमित शाह से भी उनकी मुलाकात होनी है।इन मुलाकातों में यूपी मंत्रिमंडल के गठन को लेकर मंथन होगा।

दिल्ली के यूपी सदन को फूलों से पूरी तरह सजा दिया गया है। वहां हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में योगी का स्वागत करने के लिए मौजूद हैं। योगी आदित्यनाथ यहीं ठहरेंगे। इसके बाद उनकी मुलाकातों का दौर शुरू होगा।

UP सदन के बाहर योगी आदित्यनाथ के स्वागत के लिए खड़े हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता।
UP सदन के बाहर योगी आदित्यनाथ के स्वागत के लिए खड़े हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता
योगी शाम को पीएम मोदी और जे पी नड्‌डा से भी मुलाकात करेंगे

यूपी की नई सरकार के मंत्रिमंडल में कौन शामिल होगा, शपथ-ग्रहण कब होगा, इसको लेकर चर्चा होगी। सूत्र बताते हैं कि होली बाद 21 मार्च को शपथ ग्रहण हो सकता है। इतना ही नहीं, नए मंत्रिमंडल के चेहरों की पूरी फेहरिस्त करीब-करीब तैयार है। बस जरूरत है आज होने वाली बैठक के बाद उस पर मुहर लगाने की।

CM योगी के स्वागत के लिए दिल्ली में यूपी सदन को सजाया गया है।
CM योगी के स्वागत के लिए दिल्ली में यूपी सदन को सजाया गया है।

योगी का दिल्ली दौरा, नई सरकार के गठन पर मंथन
योगी आदित्यनाथ के साथ ही बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के जाने की चर्चा थी, लेकिन वह नहीं गए हैं। संगठन मंत्री सुनील बंसल और यूपी के प्रभारी राधा मोहन सिंह भी दिल्ली जा रहे हैं। खबर है कि सबसे पहले सीएम योगी बीएल संतोष से मिलेंगे। इसके बाद करीब दोपहर 3 बजे वह उप राष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू से मुलाकात करेंगे।

यूपी सदन के बाहर खड़े कर्मचारियों और पत्रकारों के लिए योगी ने मिठाई भिजवाई।
यूपी सदन के बाहर खड़े कर्मचारियों और पत्रकारों के लिए योगी ने मिठाई भिजवाई

नई सरकार में डिप्टी सीएम को लेकर होगी चर्चा

तस्वीर उस समय की है जब प्रचंड बहुमत मिलने के बाद योगी बीजेपी प्रदेश कार्यालय पहुंचे थे।
तस्वीर उस समय की है जब प्रचंड बहुमत मिलने के बाद योगी बीजेपी प्रदेश कार्यालय पहुंचे थे

17वीं विधानसभा के भंग होने तथा योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देने के बाद नई सरकार के गठन की कवायद शुरू हो गई है। विधानसभा भंग होने के साथ ही विधानसभा की गठित सभी समितियां तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई हैं। विधानसभा सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार सत्रहवीं विधानसभा के जो सदस्य विभिन्न समितियों, परिषदों व निकायों आदि में विधानसभा सदस्य की हैसियत से निर्वाचित या नामित किए गए थे, उनकी सदस्यता भी समाप्त हो गई है।

केशव मौर्या के भविष्य को लेकर होगा फैसला
कहा जा रहा है कि इस बार दिनेश शर्मा योगी के मंत्रिमंडल से बाहर हो सकते हैं। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य चुनाव हार चुके हैं, लेकिन खबर ये भी है कि पार्टी उन्हें एक बार फिर अहम जिम्मेदारी देने के मूड में है। बताते चलें कि मौर्य के सिराथू से चुनाव हारने के बाद उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि केशव अभी विधान परिषद सदस्य हैं। ऐसे में केशव को योगी सरकार में जगह मिलेगी या उन्हें भाजपा की राष्ट्रीय टीम में जिम्मेदारी दी जाएगी, इसका निर्णय पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अगले सप्ताह तक करेगा।

चुनाव हार चुके डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को पार्टी एक बार फिर अहम जिम्मेदारी दे सकती है

कौन बनेगा डिप्टी सीएम?
भाजपा डिप्टी सीएम और मंत्रियों के नामों के लिए योग्यता, जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को आधार बनाएगी। इस बार डिप्टी के रूप में स्वतंत्र देव सिंह, बेबी रानी मौर्य, बृजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य के नाम की चर्चा है। हालांकि, इस पर अंतिम फैसला बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को लेना है। बेबी रानी मौर्य जाटव समुदाय की हैं। उन्हें उत्तराखंड के राज्यपाल के पद से इस्तीफा दिलवाकर पार्टी ने चुनाव लड़वाया था।

पार्टी उन्हें प्रदेश में मायावती के विकल्प के रूप में पेश करना चाहती है। कुर्मी समाज से आने वाले स्वतंत्र देव सिंह और कोरी समाज से आने वाले केशव प्रसाद मौर्य बीजेपी का प्रमुख ओबीसी चेहरा हैं। साथ ही जातीय संतुलन बनाने के लिए ब्राह्मण समुदाय से आने वाले बृजेश पाठक को ब्राह्मण चेहरे के तौर पर उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की भी चर्चा है।

नई सरकार में सहयोगी दलों को भी मिलेगी जगह
भाजपा ने इस बार भी निषाद पार्टी और अपना दल एस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा है। खबर है कि इस बार मंत्रिमंडल में इन दोनों दलों की जगह मिल सकती है। अपना दल ने 12 और निषाद पार्टी ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की है। इसी अनुपात में दोनों सहयोगी दलों को मंत्री पद मिल सकता है। चर्चा पूर्व आईपीएस असीम अरुण और राजेश्वर सिंह को मंत्री बनाने की भी है।

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