इंदौर। स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली, वह 92 वर्ष की थीं. लता मंगेशकर का जन्म 1929 में इंदौर के एक मध्यमवर्गीय मराठा परिवार में हुआ था. उनके माता पिता ने पहले उनका नाम हेमा रखा था, लेकिन पांच साल की उम्र में उनका नाम बदलकर लता रख दिया गया. इंदौर से लता मंगेशकर की कई यादें जुड़ी हुई हैं. इंदौर के लोग आज भी उनकी यादें सहेज कर रखे हैं. यहां का बच्चा-बच्चा लता मंगेशकर के घर को पहचानता है.
लता मंगेशकर के नाम से जाना जाता है ये मोहल्ला
लता मंगेशकर ने जब संगीत की दुनिया में कदम रखा तो किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि इंदौर की गलियों में जन्मी और यहां की गलियों में पली-बढ़ी ये बच्ची संगीत की दुनिया की सरताज बन जाएगी. इंदौर का नाम भी लता मंगेशकर की वजह से पूरे देश और विदेशों में मशहूर है. उनका जन्म सिख मोहल्ले में हुआ था यह क्षेत्र लता मंगेशकर के नाम से ही जाना जाता है. लता मंगेशकर के चाहने वाले हमेशा उनका जन्मदिन धूमधाम से मनाते हैं.
पढ़ने में भी थीं होशियार
लता मंगेशकर के पड़ोस में रहने वाले बुजुर्ग ने बताया कि लता मंगेशकर और उनका परिवार सालों तक यहां पर रहा है. शुरुआती बचपन इंदौर में ही गुजरा और वह इन्हीं गलियों में खेलते हुए बड़ी हुईं और फिर अपने परिवार के साथ मुंबई चली गईं थीं, इसके बाद कभी लौटकर नहीं आईं थी. लेकिन जो भी समय उन्होंने शहर में गुजारा वह इंदौर के लिए यादगार बन गया था. जिस क्षेत्र में वह रहती थीं, वह इलाका उनके नाम से ही जाना जाता है यह इंदौर के लिए किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है. बुजुर्गों ने बताया कि लता मंगेशकर बचपन से ही पढ़ने में काफी होशियार थीं. वहीं आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि उनका परिवार भी काफी अच्छा था और सभी से मिलकर रहता था.
इंदौर में कई तरह के विकास कार्य करवाए
जैसे ही इंदौर वासियों को लता मंगेशकर के निधन की खबर मिली वह मायूस हो गए. सब उनकी सलामती और अच्छे स्वास्थ्य के लिए दुआ कर रहे थे. इंदौर के लिए लता मंगेशकर ने कई तरह के विकास कार्य करवाए थे. उन्हीं में से एक कार्य इंदौर के लोहा मंडी क्षेत्र में माई मंगेशकर सभागृह है, उसके बारे में बताया जाता है कि उसका निर्माण लता मंगेशकर के भाई ने लता मंगेशकर की मां की याद में करवाया था.