भय्यूजी महाराज पार्ट-1ः जानिए सेवादारों की साजिश का शिकार होकर कैसे डिप्रेशन में पहुंचे महाराज, जान देकर चुकानी पड़ी कीमत

इंदौर। राष्ट्रीय स्तर के संत भय्यूजी महाराज सेवादारों की साजिश के शिकार हो गए और उन्होंने आत्महत्या कर ली. शुक्रवार को इंदौर जिला कोर्ट ने सेवादार आरोपियों को 6-6 साल की सजा सुना दी. भय्यूजी महाराज की पत्नी आयुषी ने भी कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. आइए पार्ट-1 में जानते हैं भय्यूजी महाराज की डिप्रेशन से लेकर आत्महत्या तक की कहानी.

भय्यूजी महाराज नाम की थी विशेष पहचान
भय्यूजी महाराज देश में एक अलग ही नाम हुआ करते थे. जब वह जीवित थे, तब चाहे अन्ना हजारे का आंदोलन हो या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई भी बड़ा आयोजन, उसमें भय्यूजी महाराज की उपस्थिति हमेशा रहती थी. जहां वह विभिन्न मंचों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते थे, वहीं उनके पीछे उनके सेवादार ही उनके खिलाफ एक ऐसी साजिश रच रहे थे, जिससे निकलना संत के बस की बात नहीं थी.

इन तीन सेवादारों की साजिश से डिप्रेश हुए महाराज
भय्यूजी महाराज के आश्रम सूर्योदय में भय्यूजी महाराज के तीन प्रमुख सेवादार हुआ करते थे. आरोपी पलक, शरद और विनायक. तीनों की भूमिका आश्रम के साथ ही भय्यूजी महाराज के आश्रम में काफी अहम होती थी. महाराज कोई भी नए कार्य का आयोजन करते थे तो उसका काम काज इन तीन प्रमुख सेवादारों को ही सौंपा जाता था.

महाराज पर नियंत्रण करती थी पलक
पलक, भय्यूजी महाराज की मुख्य सेवादार थी. महाराज को किस से मुलाकात करनी है, और कौन सी दवा लेनी है. इस बात की जानकारी पलक को रहती थी. महाराज पर पलक इस तरह से नियंत्रण करती थी कि भय्यूजी महाराज उसकी अनुमति के बिना किसी से बात भी नहीं करते थे. यही एक कारण रहा कि पलक ने भय्यूजी महाराज को अपने जाल में फंसाया.

सेवादारों ने भय्यूजी महाराज को किया प्रताड़ित
पलक ने सबसे पहले उनसे नजदीकियां बढ़ाईं. उसके बाद उसने धीरे-धीरे एक ऐसी साजिश रची कि भय्यूजी महाराज उस साजिश से निकल नहीं पाए. पलक ने साजिश में आश्रम से ही जुड़े हुए और भय्यूजी महाराज के खास विनायक और शरद को भी मिला लिया. इसके बाद तीनों मिलकर भय्यूजी महाराज को अलग-अलग तरह से प्रताड़ित करते रहे.

आश्रम की हर गतिविधी में रहते थे तीनों लिप्त
विनायक और शरद, भय्यूजी महाराज के साथ साये की तरह रहते थे. भय्यूजी महाराज जब शहर के बाहर जाते थे, तो शरद और विनायक ही साथ में रहते थे. आश्रम में जो भी गतिविधियां चलती थीं, उसके बारे में भी तीनों को पूरी जानकारी रहती थी. इसी का फायदा उठाकर उन्होंने पलक के माध्यम से पहले भय्यू महाराज को अपने जाल में फंसाया. फिर पलक के माध्यम से भय्यूजी महाराज को ब्लैकमेल करने लगे.

सेवादारों के दबाव ने आत्महत्या के लिए उकसाया
पलक लगातार भय्यूजी महाराज पर शादी करने के लिए दबाव बना रही थी. यही नहीं हर महीने एक मोटी रकम की डिमांड भी की जा रही थी. इन्हीं सब प्रताड़नाओं से तंग आकर महाराज ने आत्महत्या कर ली. भय्यूजी महाराज की आत्महत्या करने के बाद आरोपियों की साजिश थी कि भय्यूजी महाराज की पत्नी आयुषी और बेटी कुहू को आश्रम से बेदखल कर दें.

दोनों को बेदखल करने के बाद आश्रम की बागडोर अपने हाथ में लेकर उसका कामकाज अपने तरीके से चलाने की योजना थी, लेकिन पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी विनायक, शरद और पलक को गिरफ्तार कर लिया. कोर्ट ने इस मामले में अपना न्याय सुनाते हुए तीनों की सजा मुकर्रर कर दी.

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