लॉकडाउन में हताश लोगों को दिए मोटिवेशनल टिप्स,10 साल केअवि शर्मा ने लिखी बालमुखी रामायण

इंदौर मध्यप्रदेश

इंदौर:मैंने (अवि शर्मा ) 10 साल की उम्र में बालमुखी रामायण 250 छंदों में लिखी। रामायण पहले भी पढ़ी और सुनी थी। जब लॉकडाउन 2020 में सभी लोग हताश थे, टीवी पर 90 के दशक की रामायण प्रसारित की गई। जिसे देख बहुत अच्छा लगा। हमारे भगवान श्रीराम का इतना अनुपम चरित्र है। हम बच्चे आजकल उन्हें भूलते जा रहे हैं। इसलिए मैंने 250 छंदों में रामायण का संक्षेप लिखा। भगवान श्रीराम जी में बहादुरी, आदर-सम्मान और पेशेन्स हैं। ऐसे आदर्श भगवान श्रीराम से हम सीख सके और अपने जीवन में उतार सके।

पीएम मोदी से चर्चा के दौरान मैंने कहा- पद-प्रतिष्ठा इन सबका कहीं न कहीं दबाव पड़ता है, लेकिन हमें उस दबाव को लेना नहीं है। बल्कि उसे प्रेरणा बनाकर आगे बढ़ना है। आप (मोदी) मेरे आदर्श हैं, आपसे चर्चा की तो मुझे इंस्पिरेशन मिला। पीएम मोदी से मुझे बात करने की ललक थी। इसका सौभाग्य आखिरकार मुझे मिल ही गया। उनसे बात करने का अनूठा अनुभव रहा। जीवन के सबसे सुखद क्षणों में यह पहला था। संस्कृत के श्लोक को लेकर मोदी जी ने मुझसे कहा कि वकील धाराओं में बात करते हैं तो आप क्या घर में श्लोक में बात करते हो।

हफ्तेभर में लिख दिए रामायण के 250 छंद
बालमुखी रामायण का पहला छंद माता सरस्वती ने मेरे सपने में आकर दिया। अगले दिन दो घंटे लिखता रहा और उसी दिन मैंने 50 छंद लिख दिए। एक सप्ताह में 250 छंद पूरे कर दिए। भगवान श्रीराम और भगवान गणेश जी की कृपा से कोई कठिनाई नहीं आई।

विद्याधन बांटने से बढ़ता है
बच्चों को मैथ्स हमेशा सताता है। मेरे दोस्त, हम उम्र और आसपास के बच्चों को मैथ्स में आने वाली समस्या देखी। लॉकडाउन -2020 में मैंने वैदिक मैथ्स पढ़ा था। मुझे लगा बच्चों को ये ज्ञान फ्री में देना चाहिए क्योंकि विद्या का धन ही ऐसा धन है, जिसे जितना बांटों उतना बढ़ता है। मैंने फ्री क्लास शुरू की, जिसमें देश के विभिन्न प्रांतों से 150 से ज्यादा बच्चे शामिल हुए।

लैंग्वेज सीखी और तैयार किए दो प्रोग्राम
मैंने खुद से पाइथन लैंग्वेज सीखी और दो प्रोग्राम बनाए। पहला प्रोग्राम माधव वाइस असिस्टेंट जो एक आवाज से कम्प्यूटर रिलेटेड और स्मार्ट डिवाइस को कंट्रोल करने के काम करता है। बुजुर्गों व अन्य लोगों के लिए यह काफी कारगर है। दूसरा मास्क डिटेक्टर बनाया जो आपको अलार्म दे देता है। नॉलेज हमारा सबसे बड़ा हथियार है तो मैंने अपने “मिशन और संस्कार” के अंतर्गत दोनों प्रोग्राम मुफ्त में पढ़ाने का निर्णय लिया है। मैं चाहता हूं बच्चे कम्प्यूटर पर गेम्स खेलने के बजाए कम्प्यूटर पर प्रोग्राम बनाएं और देश की प्रगति में योगदान दें।

शिक्षा-संस्कार को आगे बढ़ाना है
मिशन शिक्षा और संस्कार है उसे आगे बढ़ाना है। मैं इसमें बच्चों को भारतीय संस्कृति का भी ज्ञान देना चाहता हूं। अपने माधव (प्रोग्राम) को विश्व लेवल पर ले जाना है। प्रधानमंत्री मोदी के मिशन डिजिटल इंडिया में इसे एक कॉन्ट्रीब्यूशन के रूप में देना चाहता हूं। आगे IFS (इंडियन फॉरेन सर्विसेस) में जाना चाहता हूं। मोदी जी ने भी कहा देश युवाओं पर निर्भर है और भारत में काफी पॉपुलेशन युवाओं की है। कई बड़ी कंपनियों के CEO इंडियन है। भारत के युवा एक रिवॉल्यूशन लाएं।

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