फर्जी आदेश बनाकर बने IAS संतोष को जमानत, 6 माह से है सलाखों के पीछे

इंदौर मध्यप्रदेश

इंदौर: फर्जी दस्तावेज तैयार कर IAS बने अफसर संतोष वर्मा की जमानत सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। 6 माह पूर्व IAS वर्मा के खिलाफ 27 जून को एमजी रोड पुलिस ने न्यायाधीश की रिपोर्ट पर धोखाधड़ी और कूटरचित दस्तावेज तैयार करने का केस दर्ज किया था। संतोष वर्मा पर एक महिला ने शादी का झांसा देकर ज्यादती का आरोप लगा चुकी थी ।

सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता नवीन कुमार सिंह ने बताया कि हाई कोर्ट से जमानत ख़ारिज होने के बाद वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार शाम संतोष वर्मा को जमानत दी।

वर्मा पर फर्जी दस्तावेज तैयार करके प्रमोशन लेने का आरोप था। संतोष वर्मा ने IAS कैडर अलॉट होने पर DPC (डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी) के लिए स्पेशल जज (CBI और व्यापमं) विजेंद्र रावत के फर्जी साइन कर रिपोर्ट तैयार की थी। IAS अफसर संतोष वर्मा नगरीय प्रशासन विभाग भोपाल में तैनात थे।

क्यों बनाया था फर्जी आदेश
राज्य प्रशासनिक सेवा से भारतीय प्रशासनिक सेवा में प्रमोट करने के अधिकारी की जांच की जाती है। मामूली अपराध होने पर IAS अवॉर्ड रुक जाता है। ऐसे में वर्मा के खिलाफ दो केस लंबित होने की जानकारी DPC को मिलती तो उन्हें अपने सेवाकाल में कभी IAS अवॉर्ड होता ही नहीं, इसलिए उसने फर्जी आदेश बनाकर DPC के समक्ष लगा दिया।

लिव इन में रखने का आरोप लगा था
पूर्व शहर के लसूड़िया थाने में IAS अफसर संतोष वर्मा ने एक महिला के खिलाफ केस दर्ज कराया था। शिकायत में कहा है कि महिला ब्लैकमेल कर रही है। उसने दस्तावेज में पति के रूप में मेरा नाम दर्ज कराया था। पासपोर्ट और मतदाता परिचय पत्र भी मेरा नाम लिखवा लिया है। उधर, महिला ने नवंबर 2016 अफसर पर शादी के बाद धोखा देने का आरोप लगाया था। वह थाने में इसकी शिकायत भी कर चुकी है।

महिला ने शिकायत में कहा था- साथ रखकर ज्यादती की
नवंबर में युवती ने इसी थाने में शिकायत की थी। शिकायत में उसने कहा था कि उज्जैन के अपर कलेक्टर संतोष वर्मा ने शादी का झांसा देकर उन्हें साथ रखा और ज्यादती की। उसने संतोष के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की थी। इसी दौरान दोस्ती हुई, जो प्रेम में बदल गई। दोनों ने विवाह कर लिया था। जब वह हरदा में पदस्थ थे तब वे पत्नी की तरह सरकारी क्वार्टर में साथ रही थी।

उसके बाद उनका उज्जैन ट्रांसफर हो गया तो युवती को टाउनशिप में घर दिलवाया था। वह घर संतोष वर्मा की मां के नाम पर है। अपर कलेक्टर का पहले ही विवाह हो चुका था, लेकिन उन्होंने छुपाया। बाद में शादी से इनकार कर दिया। उन्होंने इसकी शिकायत कई जगह की थी।

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