नई दिल्ली. भारत ने बीते 96 घंटों में कोरोना वायरस बीमारी से निपटने के लिए अपनी नीति में जबर्दस्त सुधार किया है. नए साल आने के पहले ही टीकाकरण अभियान में अब टीनएजर्स को भी शामिल कर लिया गया है. इसके साथ ही हेल्थ और फ्रंट लाइन वर्कर्स, बुजुर्गों और लंबे समय से बीमार लोगों के लिए प्रीकॉशनरी शॉट्स भी लगाने की घोषणा हो गई है. इन दिनों अधिकारी टीकाकरण अभियान में जुटे हुए हैं तो विशेषज्ञों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया है कि प्रीकॉशनरी डोज और बूस्टर डोज ( Booster Dose) में क्या अंतर है? टीनएजर्स को कौन सी वैक्सीन लगाई जाएगी और क्या भारत मिक्स एंड मैच जैसा कुछ करने जा रहा है. आखिर क्या होने वाला?क्या आने वाला साल 2022 अच्छा होगा? बीती अन्य महामारी को देखते हुए अभी कुछ कहा नहीं जा सकता. विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों का व्यक्तिगत व्यवहार बहुत हद तक मायने रखेगा. वैक्सीन लगवाने भी जरूरी है, लेकिन हमेशा सावधानी बरतनी होगी. वैक्सीन विशेषज्ञ और वैज्ञानिक डॉ गगनदीप कांग कहते हैं कि एक समय ऐसा ही आएगा कि यह कोरोना बीमारी, एक आम सर्दी और बुखार जैसी रह जाएगी. हालांकि कोरोना वायरस के नए वेरिएंट्स आते रहेंगे और हमें सावधानी बरतनी होगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सरप्राइज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क्रिसमस के मौके पर दिया गया भाषण लोगों के लिए बड़ा सरप्राइज रहा. इस भाषण में मोदी ने टीकाकरण को लेकर घोषणा की थी. वहीं लोगों से कहा था कि अभी कोरोना गया नहीं है, इसलिए सावधानी के लिए मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों का पालन जरूर करें. यह भाषण कई मायनों में जरूरी भी था. देश में 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट के मामले तेजी से बढ़कर 653 तक पहुंचे हैं और जिन लोगों को जनवरी में वैक्सीन लगाई गई थी उन लोगों की इम्युनिटी के स्तर में कमी को लेकर भी चिंता है.
टीकाकरण अभियान के दूसरे चरण में कौन होगा शामिल
सबसे बड़ा सवाल है कि देश में शुरू हो रहे टीकाकरण अभियान के दूसरे चरण में कौन कौन शामिल होने जा रहा है. इसमें करीब 20.4 करोड़ लोग लाभांवित होंगे. इसमें 15 से 18 वर्ष वाले टीनएजर्स की संख्या करीब 7.4 करोड़ होगी तो हेल्थ और फ्रंटलाइन वर्कर्स की संख्या करीब 3 करोड़ होगी जिन्हें प्रीकॉशनरी डोज लगाई जाए. वहीं 60 साल की उम्र से अधिक आयु के लोगों और दवा के सहारे बीमारी से लड़ रहे लोगों को भी वैक्सीन देनी होगी, जिनकी संख्या करीब 10 करोड़ हो सकती है.
प्रीकॉशनरी डोज, बूस्टर डोज से अलग हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के बाद यह जिज्ञासा थी कि बूस्टर डोज क्यों नहीं लग रहे हैं और सरकार प्रीकॉशनरी डोज क्यों लगाना चाहती है. इन दोनों में क्या अंतर है? जबकि देखा जा रहा है कि दोनों समान ही हैं. हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रीकॉशनरी डोज, बूस्टर डोज से अलग हैं. उन्होंने कहा कि वैक्सीन लेने के बाद भी बुजुर्गों में नए वेरिएंट के लिए प्रतिरक्षा होने के कमी न रह जाए, इसलिए सावधानी के लिए यह वैक्सीन डोज दिया जाना है, इसलिए इसे प्रीकॉशनरी नाम दिया गया है.