नई दिल्ली: संसद चल रहे शीतकालीन सत्र के लिए विभिन्न मुद्दों और सरकार की रणनीति पर चर्चा करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी संसद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी और पीयूष गोयल सहित वरिष्ठ मंत्रियों के साथ बैठक कर रहे हैं.
संसद के शीतकालीन संसद से पहले सरकार ने विपक्षी दलों के नेताओं को बैठक के लिए आज बुलाया है. इस बीच कांग्रेस नेता, एम. खड़गे ने ट्वीट किया, ‘सरकार ने 12 राज्यसभा सांसदों के निलंबन पर 4 विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है. यह विपक्ष को बांटने की साजिश है. इस मुद्दे पर सभी विपक्षी दल एकजुट हैं. हमने सरकार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाने के लिए लिखा है.’
उधर, राज्य सभा के 12 विपक्षी सदस्यों के निलंबन पर सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक में भाग लेना है या नहीं, इस पर निर्णय लेने के लिए विपक्षी दलों के नेता बैठक कर रहे हैं.
इस बीच लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने ट्वीट किया, ‘यह सरकार पर निर्भर करता है कि लोकसभा को कैसे चलाना है. सरकार ने हमें किसी बैठक के लिए नहीं बुलाया क्योंकि मामला राज्यसभा का है.’
शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा, ‘हम सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं होंगे. हम राज्यसभा में 12 विपक्षी सांसदों के निलंबन को रद्द करने और गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा के इस्तीफे की मांग करेंगे. हम संसद के दोनों सदनों को चलने नहीं देंगे.’
हम उन विपक्षी दलों से बात करना चाहते हैं: केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी
इस बीच केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने ट्वीट किया, ‘हम उन विपक्षी दलों से बात करना चाहते हैं जिनके राज्यसभा सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया है. वे (विपक्ष) बैठक का बहिष्कार कर रहे हैं, उन्होंने संविधान दिवस के कार्यक्रम का भी बहिष्कार किया. उन्हें समझना चाहिए कि जनता भी उनका बहिष्कार कर रही है.’
एनडीए सरकार ने राज्यसभा से 12 सांसदों के निलंबन के मुद्दे चार विपक्षी दलों को बैठक के लिए बुलाया है. लेकिन सूत्रों के अनुसार विपक्ष ने इस बैठक में जाने से इनकार कर दिया है.
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ‘भारत के संविधान की अनुसूची VI में लद्दाख को राज्य का दर्जा और शामिल करने’ पर चर्चा करने के लिए लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया है.
वहीं, संसद के शीतकालीन सत्र में AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में ‘चुनाव कानूनों (संशोधन), विधेयक 2021 का विरोध करने के लिए नोटिस पेश किया है, यह आधार को मतदाता सूची से जोड़ने का प्रस्ताव है.’
कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर ने उत्तर प्रदेश में लखीमपुर खीरी हिंसा पर लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया, ‘गृह राज्य मंत्री अजय कुमार टेनी के तत्काल इस्तीफे’ की मांग की है.
इलेक्शन लॉ (अमेंडमेंट) बिल 2021 पेश किया जाएगा
सरकार चुनाव सुधार संबंधी विधेयक सोमवार को लोकसभा में पेश करेगी. यह जानकारी लोकसभा के एक बुलेटिन में दी गई. बुलेटिन में कहा गया है कि ‘चुनाव अधिनियम संशोधन विधेयक 2021’ निचले सदन की सोमवार की कार्यसूची में सूचीबद्ध है जिसे विधि एवं न्याय मंत्री किरण रिजीजू पेश करेंगे. इस विधेयक के माध्यम से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में संशोधन किए जाने का प्रस्ताव किया गया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को चुनाव सुधारों से जुड़े इस विधेयक के मसौदे को अपनी मंजूरी दी थी.
इस विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि मतदाता सूची में दोहराव और फर्जी मतदान रोकने के लिए मतदाता कार्ड और सूची को आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा. मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर किए गए विधेयक के मुताबिक, चुनाव संबंधी कानून को सैन्य मतदाताओं के लिए लैंगिक निरपेक्ष बनाया जाएगा. वर्तमान चुनावी कानून के प्रावधानों के तहत, किसी भी सैन्यकर्मी की पत्नी को सैन्य मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने की पात्रता है लेकिन महिला सैन्यकर्मी का पति इसका पात्र नहीं है। प्रस्तावित विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने पर स्थितियां बदल जाएंगी.
निर्वाचन आयोग ने विधि मंत्रालय से जनप्रतिनिधित्व कानून में सैन्य मतदाताओं से संबंधित प्रावधानों में ‘पत्नी’ शब्द को बदलकर ‘स्पाउस’ (जीवनसाथी) करने को कहा था. इसके तहत एक अन्य प्रावधान में युवाओं को मतदाता के रूप में प्रत्येक वर्ष चार तिथियों के हिसाब से पंजीकरण कराने की अनुमति देने की बात कही गई है. वर्तमान में एक जनवरी या उससे पहले 18 वर्ष के होने वालों को ही मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने की अनुमति दी जाती है.निर्वाचन आयोग पात्र लोगों को मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने की अनुमति देने के लिए कई ‘कट ऑफ तारीख’ की वकालत करता रहा है.
आयोग ने सरकार से कहा था कि एक जनवरी की ‘कट ऑफ तिथि’ के कारण मतदाता सूची की कवायद से अनेक युवा वंचित रह जाते हैं। केवल एक ‘कट ऑफ तिथि’ होने के कारण दो जनवरी या इसके बाद 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले व्यक्ति पंजीकरण नहीं करा पाते थे और उन्हें पंजीकरण कराने के लिए अगले वर्ष का इंतजार करना पड़ता था.विधि एवं न्याय संबंधी संसदीय समिति द्वारा संसद के जारी शीतकालीन सत्र में हाल में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि विधि मंत्रालय जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 14-बी में संशोधन करना चाहता है.
इसमें कहा गया कि संशोधन में मतदाता पंजीकरण के लिए हर वर्ष चार ‘कट ऑफ तिथियों’-एक जनवरी, एक अप्रैल, एक जुलाई तथा एक अक्टूबर- रखने का प्रस्ताव है. इससे पहले मार्च में, उस समय विधि मंत्री रहे रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में जानकारी दी थी कि निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची से आधार प्रणाली को जोड़ने का प्रस्ताव किया है, ताकि कोई व्यक्ति विभिन्न स्थानों से कई बार पंजीकरण न करा सके.
संसद का मौजूदा शीतकालीन सत्र 23 दिसंबर तक चलेगा और अब इसकी कुल चार बैठक निर्धारित हैं. लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के इस्तीफे की मांग को लेकर विपक्षी दलों के हंगामे के कारण पिछले कुछ दिनों में संसद के दोनों सदनों में कार्यवाही बाधित रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि विधेयकों पर चर्चा और पारित कराना सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा.