नई दिल्ली. राष्ट्रपति भवन में सोमवार आयोजित पद्म पुरस्कार वितरण में खेल, मनोरंजन समेत कई क्षेत्रों के बड़े नामों को सम्मानित किया गया. इस दौरान पुरस्कार हासिल करने वालों में कर्नाटक के हरिकेला हजब्बा का नाम भी शामिल है. संतरा बेचने वाले हजब्बा को पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया है. उन्हें यह सम्मान ग्रामीण शिक्षा में क्रांति लाने के लिए दिया गया है. वे पुरस्कार के साथ मिली राशि को भी अन्य स्कूल भवनों के निर्माण में खर्च करेंगे।
कर्नाटक के मंगलुरु में बस डिपो पर संतरा बेचने वाले हरिकेला हजब्बा ने खुद कभी भी पढ़ाई नहीं की, लेकिन वे चाहते हैं कि गांव के बच्चे पढ़ें. दरअसल, उनके इस खास सपने के पीछे भी एक खास कहानी है. गांव में स्कूल खोलने का विचार उन्हें 1978 में आया, जब एक विदेशी नागरिक ने उनसे संतरे का भाव पूछा. वे बताते हैं, ‘मैं विदेशी से बात नहीं कर सका था. मुझे बुरा लगा और गांव में स्कूल खोलने का विचार किया।
मैं केवल कन्नड़ जानता हूं, अंग्रेजी या हिंदी नहीं. मैं परेशान था, क्योंकि मैं विदेशी की मदद नहीं कर पाया था. मैंने अपने गांव में स्कूल बनाने के बारे में सोचा.’ हालांकि, उनका यह सपना पूरा होने में दो दशक लग गए. हजब्बा साल 1977 से मंगलुरु बस डिपो पर संतरे बेच रहे हैं. उन्हें अपने इन कामों के चलते अक्षर संत की उपाधि भी मिली है. 28 बच्चों से शुरू हुए विद्यालय में आज कक्षा 10वीं तक 175 बच्चे पढ़ाई करते हैं।