जानिए छठ पूजा से जोड़ी कुछ रोचक कथाएं एवं क्या है छठ पूजा के वो 4 विशेष दिन

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छठ पूजा का व्रत दिपावली के बाद आता है। यह व्रत बिहार, झारखंड और उत्तर भारत में विशेष रूप से मनाया जाता है।

पौराणिक कथाओं में ऐसा उल्लेख मिला है। जिसमें भगवान श्री कृष्ण ने छठ पूजा का व्रत करने के संदर्भ में अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा को बताया था। छठ पूजा के कठिन व्रत में महिलाएं 36 घंटे तक निराहार तथा निर्जल व्रत करती है। जिसके दौरान महिलाएं छठ पूजा के प्रमुख दिनों में कुछ भी खाती-पीती नहीं है। छठ पूजा का त्योहार 4 दिनों का प्रमुख रूप से माना जाता है।छठ पूजा के त्यौहार का प्रारंभ नहाय-खाय के प्रमुख दिन से होता है। छठ पूजा में सूर्य देव की आराधना की जाती है। इस व्रत में छठी मैया की उपासना भी की जाती है। छठ पूजा का व्रत सुख शांति तथा अपनी संतान की दीर्घायु के लिए महिलाएं व्रत करती हैं।
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दीपावली के त्यौहार के बाद से ही लोगों को छठ पूजा का इंतजार रहता है। छठ पूजा का त्योहार प्रमुख रूप से उत्तर भारत मैं मनाया जाता है। साथ ही यह पर्व देश के विभिन्न हिस्सों में भी पारंपरिक विधि-विधान का पालन करते हुए मनाया जाता है। छठ पूजा का त्यौहार काफी कठिन नियमों तथा सच्ची निष्ठा के कारण इस व्रत को सबसे बड़ा पर्व माना जाता है।पौराणिक कथा में यह उल्लेखित किया गया है कि भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन की पत्नी उत्तरा को छठ पूजा का व्रत रखने के लिए कहा था। यह प्रसंग महाभारत का है जब महाभारत का युद्ध समाप्त हो जाता है। उसके बाद अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे कुमार दिया गया था। उस बच्चे के प्राण बचाने के लिए श्री कृष्ण ने उत्तरा को बताया कि उसे षष्ठी व्रत अर्थात छठ पूजा का व्रत रखना चाहिेए। उसके बाद से यह व्रत प्रचलित हुआ और तभी से महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु एवं कई प्रमुख कामनाओं की पूर्ति के लिए छठ मैया का व्रत करती है।

छठ पूजा के त्यौहार में चार दिनों का प्रमुख माना जाता है। जानिए छठ पूजा के प्रमुख दिनों के बारे में विस्तार तथा महत्वपूर्ण बातें।

प्रथम दिन नहाय-खाय- इस पूजा का प्रथम दिन नहाय-खाय होता है। इस दिन को व्रत रखने वाली महिलाएं सूर्य देव को साक्षी मानकर व्रत रखने का संकल्प लेती है। इस दिन करने वाली महिलाएं चने की सब्जी के साथ चावल का सेवन करने के बाद व्रत रखने का प्रथम दिन प्रारंभ होता है।

द्वितीय दिन खरना- छठ पूजा का अगला और प्रमुख देना खरना होता है। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती है। इस दिन प्रमुख रूप से शाम के समय गुड़ की खीर बनाई जाती है। इस के संदर्भ में यह भी परंपरा है की है गुड़ की खीर मिट्टी के चूल्हे पर बनानी चाहिए।

तीसरे दिन छठ पूजा – छठ के तीसरे दिन को छठ पूजा कहा जाता है। इसी दिन शाम के समय महिलाएं अपने घर के पास वाले तालाब में जाती हैं। तालाब पर छठ मैया की आराधना करने के बाद डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद घाट से घर लौट कर कोसी भरने की प्राचीन परंपरा निभाई जाती है। यह मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति मन्नत मांगता है तो वह पूरी हो जाती है।

छठ पूजा 2021 की महत्वपूर्ण दिनों की तिथियां
• 08 नवंबर का सोमवार है और इस दिन से नहाय-खाय से छठ पूजा का प्रारंभ होता है।
• 09 नवंबर का मंगलवार है और इस दिन खरना है।
• 10 नवंबर का बुधवार है और इस दिन छठ पूजा है, डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है।
• 11 नवंबर का गुरुवार है और इस दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसी दिन छठ पूजा का समापन होता है।

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