भारत एकमात्र देश है जो पेरिस समझौते की भावना के अनुरूप काम कर रहा : मोदी

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ग्लासगो : स्कॉटलैंड के ग्लासगो में आयोजित ‘वर्ल्ड लीडर समिट ऑफ कोप-26’ (COP26) को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमें अनुकूलन को अपनी विकास नीतियों और योजनाओं का मुख्य भाग बनाना है. उन्होंने कहा कि भारत में नल से जल, स्वच्छ भारत मिशन और उज्जवला जैसी परियोजनाओं से हमारे जरूरतमंद नागरिकों को अनुकूलन लाभ तो मिले ही हैं उनके जीवन स्तर में भी सुधार हुआ है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कई पारंपरिक समुदाय में प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने का ज्ञान है. हमारी अनुकूलन नीतियों में इन्हें उचित महत्व मिलना चाहिए. स्कूल के पाठ्यक्रम में भी इसे जोड़ा जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि अडपटेशन के तरीके चाहे लोकल हों, पिछड़े देशों को इसके लिए ग्लोबल सहयोग मिलना चाहिए. लोकल अडपटेशन के लिए ग्लोबल सहयोग के लिए भारत ने कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिस्टेंस इंफ्रास्ट्रक्चर पहल की शुरुआत की थी. मैं सभी देशों को इस पहल से जुड़ने का अनुरोध करता हूं.

पीएम ने कहा कि जलवायु पर वैश्विक बहस में अडपटेशन को उतना महत्व नहीं मिला है जितना मिटिगेशन को. ये उन विकासशील देशों के साथ अन्याय है जो जलवायु परिवर्तन से ज्यादा प्रभावित हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को जोर देकर कहा कि भारत एक मात्र देश है जो पेरिस समझौते के तहत जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए ‘ उसकी भावना’ के तहत ‘अक्षरश:’ कार्य कर रहा है.

ब्रिटेन के ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र सीओपी-26 के राष्ट्राध्यक्ष और शासनाध्यक्ष सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए मोदी ने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है.

उन्होंने जीवनशैली में बदलाव का आह्वान करते हुए कहा कि पर्यावरण के प्रति संवेदनशील जीवनशैली जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए दीर्घकालिक उपाय हो सकता है. प्रधानमंत्री ने आह्वान किया कि पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली को वैश्विक मिशन बनाया जाए.

मोदी ने दोहराया कि विकसित देशों को जलवायु वित्तपोषण के लिए एक खरब डॉलर देने के अपने वादे को पूरा करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसकी निगरानी उसी तरह की जानी चाहिए जैसा जलवायु शमन की होती है.

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत उम्मीद करता है कि विकसित देश यथाशीघ्र जलवायु वित्तपोषण के लिए एक खरब डॉलर उपलब्ध कराएंगे. जैसा हम जलवायु शमन की निगरानी करते हैं, हमे जलवायु वित्तपोषण की भी उसी तरह निगरानी करनी चाहिए. वास्तव में न्याय तभी मिलेगा जब उन देशों पर दबाव बनाया जाएगा जो जलवायु वित्तपोषण के अपने वादों को पूरा नहीं कर रहे हैं.’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत वर्ष 2070 तक शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने को लेकर प्रतिबद्ध, वर्ष 2030 तक जीवाश्म ईंधन के उपयोग में उल्लेखनीय कमी लाएगा और नवीनीकरण ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाएगा.’

उन्होंने कहा कि भारत 2030 तक अनुमानित उत्सर्जन में से एक अरब टन कार्बन उत्सर्जन कम करेगा, भारत कार्बन की गहनता में 45 प्रतिशत तक कटौती करेगा.प्रधानमंत्री ने कहा, ‘दुनिया की आबादी में भारत की 17 प्रतिशत हिस्सेदारी है लेकिन कार्बन उत्सर्जन में योगदान महज पांच प्रतिशत है.’

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