नई दिल्ली ।
भारतीय नौसेना की मेजबानी में होने वाले दूसरे चरण के वार्षिक मालाबार युद्धाभ्यास में इस बार परमाणु हथियारों से लैस अमेरिकी विमानवाहक युद्धपोत कार्ल विंसन भी भाग लेगा। यह पहली बार होगा जब अमेरिका का विमानवाहक पोत इस नौसेना अभ्यास में आएगा। 12 से 15 अक्टूबर के बीच होने वाली इस तीन दिवसीय अभ्यास में क्वाड के सदस्य देश-भारत, अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान हिस्सा लेंगे।
यह अभ्यास बंगाल की खाड़ी में होगा और इसमें चारों नौसेनाएं अपने प्रमुख युद्धपोतों के साथ शामिल होंगी। इस दौरान युद्ध के समय की गतिविधियों को नौसेनाएं अंजाम देंगी। इस दौरान आक्रमण और बचाव के कई तरीके आजमाए जाएंगे। भारतीय नौसेना इस अभ्यास में अपने अग्रिम मोर्चे पर रहने वाले युद्धपोत आइएनएस रणविजय, आइएनएस सतपुड़ा और पनडुब्बियों का बेड़ा हिस्सा लेगा। इसके अतिरिक्त पी 8 समुद्री निगरानी विमान भी अभ्यास में हिस्सा लेगा।
अमेरिका के निमित्ज श्रेणी के विमानवाहक पोत यूएसएस कार्ल विंसन के साथ चलने वाले गाइडेड मिसाइल क्रूजर यूएसएस लेक कैंप्लेन और यूएसएस स्टाकडेल भी इस अभ्यास में भाग लेंगे। 1983 में अमेरिकी नौसेना में शामिल हुए विमानवाहक पोत यूएसएस कार्ल विंसन ने कई सैन्य कार्रवाइयों में हिस्सा लिया है। इनमें आपरेशन डेजर्ट स्ट्राइक, आपरेशन इराकी फ्रीडम, आपरेशन सदर्न वाच और आपरेशन एंड्यूरिंग फ्रीडम प्रमुख हैं। जापान की नौसेना अपने हेलीकाप्टर वाहक युद्धपोत जेएस कागा और विध्वंसक जेएस मुरासेम को अभ्यास में भेजेगी। जबकि आस्ट्रेलिया की नौसेना के युद्धपोत एचएमएएस बलाराट और एचएमएएस सीरियस इस अभ्यास में हिस्सा लेंगे।
भारतीय नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक माधवाल ने बताया है कि इस अभ्यास में अत्याधुनिक रक्षा उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए युद्ध कौशल का प्रदर्शन किया जाएगा।
परंपरागत पनडुब्बियों का इस्तेमाल जारी रखेगी भारतीय नौसेना
वहीं, दूसरी ओर भारतीय नौसेना परमाणु शक्ति चालित और डीजल-इलेक्टि्रक ताकत से चलने वाली परंपरागत पनडुब्बियों का इस्तेमाल जारी रखेगी। ऐसा ही रूस और चीन की नौसेनाएं कर रही हैं। भारतीय नौसेना ने 24 नई पनडुब्बियों की आवश्यकता जताई है। इनमें से छह कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों का निर्माण जारी है जबकि छह परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण का प्रस्ताव केंद्र सरकार की रक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी के पास लंबित है।