भोपाल।
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार 56 हजार से ज्यादा गांवों की कृषि विकास योजना तैयार करेगी। इसमें आगामी पांच साल की जरूरतों का आकलन किया जाएगा और फिर राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अनुसार योजना बनाकर उन्हें क्रियान्वित किया जाएगा। कृषि विकास योजना में गांव की कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन, उद्यानिकी, भूमि उपयोग, सिंचाई, बिजली सहित अन्य जानकारियां एकत्र की जाएंगी। इसके साथ ही गांव में अधोसंरचना, स्वच्छता, पेयजल की स्थिति की जानकारी भी जुटाई जाएगी। इसके लिए कृषि विभाग ने अधिकारियों को प्रशिक्षण देने का काम प्रारंभ कर दिया है।
प्रदेश सरकार ने तय किया है कि जिस तरह से गेहूं, धान सहित अन्य फसलों के उत्पादन में मध्य प्रदेश न सिर्फ आत्मनिर्भर हुआ है बल्कि अन्य राज्यों को भी आपूर्ति कर रहा है, उसी तरह अब अन्य फसलों पर ध्यान दिया जाए। इससे न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी बल्कि भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होगी। दरअसल, एक तरह की फसल लगातार लेने से उत्पादन तो प्रभावित होता है भूमि की क्षमता पर भी असर पड़ता है।
यही वजह है कि केंद्र सरकार भी कृषि में फसलचक्र परिवर्तन पर जोर दे रही है। इसे बढ़ावा देने के लिए गांवों में किसानों द्वारा की जा रही खेती की जानकारी लेकर कार्ययोजना बनाना जरूरी है। कृषि विभाग ने तय किया है कि प्रदेश के सभी 56 हजार 806 गांवों की समग्र कृषि विकास योजना तैयार की जाएगी। इसमें खेती से जुड़ी सभी जानकारियां साफ्टवेयर में दर्ज रहेंगी। सरकार इसके आधार पर ही आगामी पांच साल की कार्ययोजना तैयार करेगी। आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के रोडमैप और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में भी इस तरह की कार्ययोजना बनाने की बात कही गई है।
दलहन के साथ-साथ उद्यानिकी फसलों पर रहेगा जोर
प्रदेश सरकार चाहती है कि किसान पंरपरागत कृषि की जगह अब उन फसलों पर अधिक ध्यान दें, जिससे उन्हें आर्थिक लाभ हो। दलहन फसलों का क्षेत्र बढ़ाने की कार्ययोजना विभाग तैयार कर रहा है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा है कि किसान उद्यानिकी फसलों पर ध्यान दें। इसके लिए विभिन्न् योजनाओं में अनुदान भी दिया जा रहा है। इसके साथ ही किसानों को उपज के प्रसंस्करण के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। केंद्र सरकार कीकृषि अधोसंरचना निधि से इसके लिए राशि भी दिलाई जा रही है।