ब्यूरोक्रेसी पर दिए बयान पर उमा की सफाई, कहा- ‘असंयत भाषा पर खेद, मेरा आशय निकम्मे नेताओं से था’

भोपाल। ब्यूरोक्रेसी को लेकर दिए अपने बयान पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री उमा भारती ने माफी मांग ली है. उमा भारती ने ट्वीट कर कहा कि मुझे दुख है कि मैंने असंयत भाषा का इस्तेमाल किया, जबकि मेरे भाव अच्छे थे. उमा ने ट्वीट में आगे लिखा कि मेरा आशय निकम्मे नेताओं से था जो कहते हैं कि ‘हम तो बहुत अच्छे हैं लेकिन ब्यूरोक्रसी हमारे अच्छे काम नहीx होने देती’. उमा ने एक के बाद एक तीन ट्वीट कर अपनी सफाई पेश की है.मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने हाल ही में एमपी में शराबबंदी के लिए अभियान चलाने का एलान किया था, इसके बाद उनका एक और वीडियो सामने आया, जिसमें वे ब्यूरोक्रेसी पर विवादित टिप्पणी कर फिर सुर्खियों में आ गई. उमा भारती ने ब्यूरोक्रेसी को मानने से ही इनकार करते हुए कहा कि ब्यूरोक्रेसी कुछ नहीं होती है, ये तो नेताओं की चप्पल उठाने के लिए होती है. वहीं ब्यूरोक्रेसी द्वारा नेताओं को घुमाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ये फालतू बात है ब्यूरोक्रेसी की औकात क्या है, ब्यूरोक्रेसी नेता को घुमाती नहीं, अकेले में बात हो जाती है फिर ब्यूरोक्रेसी फाइल बनाकर लाती है.वहीं प्रदेश में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिये जाने को लेकर चल रही खींचतान पर उन्होंने दो टूक कहा कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण लेकर भी क्या करोगे, जब सरकारी में कुछ बच ही नहीं रहा है, सबकुछ प्राइवेट किया जा रहा है तो ऐसे में आप सबको निजी क्षेत्रों में आरक्षण की मांग करनी चाहिए, तभी कुछ भला होगा. साथ ही एक ही देवता और एक ही पूजा पद्धति के अलावा बेटी-रोटी से ही आपकी ताकत बढ़ेगी.उमा भारती हाल ही में शराबबंदी के मुद्दे पर शिवराज सरकार को चेतावनी दे चुकी हैं, जिस वक्त जबलपुर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आदिवासियों को रिझाने की कोशिश कर रहे थे, उसी वक्त भोपाल में उमा भारती शिवराज सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का एलान कर रही थीं, उन्होंने साफ कर दिया है कि वे 15 जनवरी के बाद सड़क पर उतरेंगी क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने जनजागरुकता के लिए 6 महीने का समय दिया है. इसके बाद शराबबंदी में सुधार नहीं हुआ तो वे डंडा लेकर सड़कों पर उतर जाएंगी.उमा भारती के बयान पर पूर्व अधिकारियों ने विरोध जताया है और उनकी भाषा को अशोभनीय बताया है, पूर्व कमिश्नर बीके बाथम ने कहा कि उमा भारती को अपनी भाषा संयमित रखनी चाहिए, ब्यूरोक्रेसी लोकतंत्र का हिस्सा है और वो सारे पक्षों को सुनकर फैसला लेती है, उमा भारती का बयान उनकी बौखलाहट है, वहीं पूर्व आईएएस डीके राय का कहना है कि ब्यूरोक्रेसी कभी भी चप्पल नहीं उठाती है, बल्कि इस काम को उनके निजी पीएसओ या फिर उत्साही कार्यकर्ता करते हैं, इनका कहना है कि ब्यूरोक्रेसी का काम सभी चीजों को देखकर निर्णय लेने का होता है, इस तरह विधायिका के अकेले फैसले लेने से कुछ नहीं होता है.

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