हिंदू संगठनों के प्रतिनिधियों ने धनखड़ से मुलाकात की, ‘खेला होबे दिवस’ की तारीख पर जताई ‘आपत्ति’

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पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि विभिन्न हिंदू संगठनों के प्रतिनिधियों ने उनसे मुलाकात की और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नीत सरकार के 16 अगस्त को ‘खेला होबे दिवस’ के रूप में मनाने के फैसले पर आपत्ति व्यक्त की। राज्यपाल के मुताबिक प्रतिनिधियों का कहना था कि मुस्लिम लीग ने 1946 में इसी तारीख को ‘सीधी कार्रवाई का दिन’ घोषित किया था, जिसके कारण बड़े पैमाने पर हिंसा और रक्तपात हुआ था।

इस साल की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनावों में ‘खेला होबे’ टीएमसी का नारा था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि उनकी सरकार 40 साल पहले एक मैच के दौरान मची भगदड़ में मारे गए फुटबॉल प्रशंसकों की याद में ‘खेला होबे दिवस’ पर खेलों को बढ़ावा देना चाहती है।
राज्यपाल ने ट्विटर पर कहा, ‘‘सनातन संगठनों के प्रतिनिधियों ने आज ‘खेला होबे दिवस’ की तारीख में बदलाव की मांग के लिए राज्यपाल से मुलाकात की क्योंकि यह 1946 में ‘सीधी कार्रवाई के दिन’ की भयानक घटनाओं की याद दिलाता है, जिसके कारण हजारों लोग मारे गए थे।’’ धनखड़ ने कहा कि वह उनका संदेश सरकार तक पहुंचाएंगे।

विधानसभा में विपक्ष के नेता और राजभवन में भिक्षुओं के समूह का नेतृत्व करने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि 16 अगस्त को कोई भी उत्सव एक भयानक अतीत की दर्दनाक यादें दिलाएगा। उन्होंने कहा कि 16 अगस्त का दिन बंगाल के इतिहास के लिए धब्बा है। अधिकारी ने कहा, ‘‘इस दिन को ‘सीधी कार्रवाई का दिन’ या ‘ग्रेट कलकत्ता किलिंग्स’ के रूप में याद किया जाता है, जिसके कारण हजारों बंगालियों की क्रूरतापूर्ण तरीके से हत्याएं हुईं। कुत्तों और गिद्धों के ग्रास के लिए कई दिनों तक सड़क पर कई शव पड़े रहे।’’

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