अनुच्छेद 370: 5 अगस्त को J&K पर घोषणा से पहले कांग्रेस व्हिप से मिली थी BJP, अगली सुबह हुआ इस्तीफा

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नई दिल्ली. दो साल पहले यानि 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने की घोषणा हुई थी, लेकिन सरकार के इस कदम के बीच राज्यसभा (Rajya Sabha) में एक और बड़ा सियासी फैसला हुआ था. उस दौरान कांग्रेस (Congress) के व्हिप भुवनेश्वर कलिता (Bhubaneswar Kalita) और समाजवादी पार्टी के दो राज्यसभा सांसदों- सुरेंद्र सिंह नागर और संजय सेठ ने इस्तीफे सौंपे थे. कहा जा रहा है कि सत्ताधारी दल के कारण ये फेरबदल हुए थे. इसके कुछ महीनों बाद बीजपी ने कलिता को फिर राज्यसभा पहुंचा दिया था.
उस समय तक यह पता नहीं था कि कलिता और सपा के सुरेंद्र सिंह नागर और संजय सेठ का त्यागपत्र देना भारतीय जनता पार्टी की योजना का हिस्सा था, जिसके जरिए पार्टी सदन में सावधानीपूर्वक अपनी विधायी योजना पूरा करना चाहती थी. रिपोर्ट के अनुसार, अब यह बात सामने आ रही है कि 5 अगस्त की घोषणा से पहले राज्यसभा के तीन सदस्यों से सत्तारूढ़ दल ने संपर्क किया था.

रिपोर्ट में कहा गया है कि असम के एक राजनेता की तरफ से चलाए गए वाहन में शीर्ष पदाधिकारी ने कलिता के नई दिल्ली स्थित आवास का दौरा किया था. जम्मू-कश्मीर पर घोषणा से पहले कलिता को कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल करने के लिए यह कदम उठाया गया था. सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि यह इतनी गुप्त और तेजी से हुआ कि खुद कलिता चौंक गए थे. इसके बाद प्लान बी के तौर पर बीजेपी ने इस मामले में कलिता के रिश्तेदारों को भी शामिल कर लिया था. उन्हें मनाने के लिए रिश्तेदारों को दिल्ली बुलाया गया. हालांकि, व्हिप की सहमति के चलते इस विकल्प का इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं पड़ी.
संवैधानिक संशोधन विधेयक को दोनों सदनों में पास कराने के लिए विशेष बहुमत की जरूरत होती है. वहीं, कांग्रेस के प्रमुख व्हिप के तौर पर कलिता को पार्टी सदस्यों के लिए व्हिप जारी करना था, ताकि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की तरफ से की गई घोषणा पर मतदान किया जा सके. आंकड़ों के लिहाज से स्थिति को सुनिश्चित करे के लिए सत्तारूढ़ दल ने विपक्ष के कुछ सदस्यों से संपर्क साधा. रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस नेताओं ने यह साफ कर दिया था कि अगर कलिता ने व्हिप जारी कर दिया, तो वे ज्यादा कुछ नहीं कर पाएंगे. व्हिप का उल्लंघन करने पर उनकी सदस्यता समाप्त हो जाती.

5 अगस्त को सदन के दिन की शुरुआत के बाद अध्यक्ष ने कलिता के इस्तीफे की घोषणा की. सदन को यह त्यागपत्र सुबह प्राप्त हुआ था और बाद में इसे लेकर पूछताछ हुई और उनकी हैंड राइटिंग की जांच हुई. पार्टी सदस्य के इस फैसले से कांग्रेस भी हैरान थी.

कलिता ने कहा था, ‘इस मुद्दे के कारण… मैं भी इसका समर्थन लंबे समय से कर रहा हूं. हमें भी एक ध्वज और एक संविधान के साथ एक राष्ट्र होना चाहिए. यह कोई नहीं कर सका था और जब यह सरकार अनुच्छेद 370 को रद्द करने का बिल लेकर आई, तो मैंने सोचा कि मुझे बिल का समर्थन करना चाहिए. मैंने पार्टी में अपने कुछ सहकर्मियों से चर्चा की और मैंने उन्हें बताया कि यह एक अहम मुद्दा है और कांग्रेस को संसदीय दल या वर्किंग कमेटी में इसपर बात करनी चाहिए और बिल का समर्थन करने का फैसला लेना चाहिए, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ… बिल पास होने तक ना ही CWC ना ही संसदीय दल ने इस मुद्दे पर चर्चा की.’

उन्होंने इस बात से भी इनकार किया था कि बीजेपी के किसी नेता ने एक रात पहले उनसे मुलाकात की थी और इस्तीफा देने के लिए कहा था. उन्होंने बताया था, ‘बीजेपी से कोई भी मेरे घर नहीं आया. मैंने अपना फैसला खुद लिया है. मेरे फैसले के बाद जरूर… कुछ लोग (बीजेपी नेता) आए थे… लेकिन ऐसा मेरे इस्तीफा देने के बाद हुआ था.’

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