पेगासस जासूसी कांड पर संसद में तनातनी अब आर-पार की ओर बढ़ी, सातवें दिन भी विपक्षी दलों का दोनों सदनों में हंगामा

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नई दिल्ली ।

पेगासस जासूसी कांड पर संसद में सरकार और विपक्ष के बीच चल रहा गतिरोध अब ज्यादा गंभीर हो गया है। जासूसी कांड पर एकजुट हुए 14 विपक्षी दलों ने संयुक्त रणनीति के साथ दोनों सदनों में सरकार की आक्रामक मोर्चाबंदी करते हुए भारी हंगामा कर लगातार सातवें दिन संसद की कार्यवाही बाधित की। लोकसभा में तो विपक्षी सदस्यों ने हवा में पर्चे उड़ाने के साथ ही आसन की तरफ भी उन्हें फेंका।

हंगामे के दौरान आसन की तरफ कागज उड़ाने वाले 10 सदस्यों के निलंबन पर किया जा रहा विचार

विपक्ष ने साफ कर दिया है कि जब तक सरकार चर्चा के लिए राजी नहीं होगी, तब तक संसद का संग्राम ठप नहीं होगा। वहीं, सरकार ने लोकसभा में दो और राज्यसभा में एक विधेयक पारित कर यह साफ संदेश दे दिया है कि विपक्ष के दबाव की उसे परवाह नहीं। सत्तापक्ष ने लोकसभा में भारी हंगामे के दौरान कागज उछालने वाले 10 सदस्यों के खिलाफ निलंबन प्रस्ताव लाने के संकेत दिए हैं। ऐसे ही मामले में राज्यसभा से तृणमूल कांग्रेस के शांतनु सेन को पूरे सत्र के लिए निलंबित किया जा चुका है।

आक्रामक हुए सरकारी विरोधी 14 दलों ने कहा, बहस की मांग से कोई समझौता नहीं

विपक्षी सदस्यों के निलंबन की तैयारी से संकेत साफ हैं कि जासूसी कांड पर सरकार और विपक्ष की तनातनी सियासी आर-पार की ओर बढ़ रही है। जासूसी मामले का घमासान तेज होने का संकेत तो सुबह सदन शुरू होने से पहले 14 विपक्षी दलों की बहस की मांग से पीछे नहीं हटने पर बनी सहमति से मिल गया था।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के कक्ष में राहुल गांधी समेत दोनों सदनों में 14 विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक हुई। इसमें सभी नेताओं ने अपने-अपने सदन में कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस देने का फैसला किया। इसमें कांग्रेस के अलावा द्रमुक, एनसीपी, शिवसेना, राजद, सपा, माकपा, भाकपा, नेशनल कांफ्रेंस, आइयूएमएल, केसीएम, वीसीके, आरएसपी और आप के नेता शामिल हुए। तृणमूल कांग्रेस के नेता इस बैठक में शामिल नहीं हुए और इन दलों के नेताओं की साझा प्रेस कांफ्रेंस से भी टीएमसी दूर रही रही। हालांकि, सदन में विपक्ष के साथ टीएमसी सदस्य जरूर सक्रिय रूप से शामिल रहे।

विपक्ष के कार्यस्थगन प्रस्ताव को स्पीकर ने किया खारिज

लोकसभा में राहुल समेत विपक्षी नेताओं के जासूसी कांड पर कार्यस्थगन प्रस्ताव के नोटिस को स्पीकर ने खारिज कर दिया और भारी हंगामे के बीच पूरा प्रश्नकाल चलाया। इस दौरान विपक्षी सदस्य पूरे समय वेल में जमकर नारेबाजी करते रहे और आसन के अलावा सत्तापक्ष से उनकी नोक-झोंक चलती रही।

पांच बार स्थगित हुई कार्यवाही

प्रश्नकाल खत्म होते ही स्पीकर चले गए और भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल आसन पर बैठे और कार्यवाही का संचालन शुरू किया। इस पर कांग्रेस तथा कुछ अन्य विपक्षी सदस्य इस पर भड़क गए और कार्यसूची से जुड़े कागजातों को फाड़कर उछालने लगे। कुछ पर्चे आसन की ओर तो कुछ सत्तापक्ष की ओर फेंके गए। तब अग्रवाल ने सदन को 12.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया और इसके बाद पांच बार के व्यवधान के बाद शाम चार बजे लोकसभा पूरे दिन के लिए ठप हो गई।

हंगामे के बीच तीन बिल पास

विपक्ष के हंगामे को अनसुना करते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अनुपूरक मांगों के साथ विनियोग विधेयक और दिवालिया कानून में संशोधन से जुड़े विधेयक पारित करा लिए। विपक्ष ने इसे लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ बताया तो सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने पलटवार करते हुए विपक्ष पर संसद में बहस से भागने और मंत्रियों को जवाब देने से रोकने का आरोप लगाया। संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद जोशी ने भी कहा कि हंगामे के अलावा विपक्ष के पास कोई मुददा ही नहीं है जिस पर वह चर्चा करे।

राज्यसभा में मुश्किल से चला प्रश्नकाल

राज्यसभा में भी कार्यवाही को शुरू होने के कुछ ही मिनट बाद हंगामे के चलते स्थगित करना पड़ा। उपसभापति हरिवंश ने 12 बजे शुरू हुए प्रश्नकाल को करीब 40 मिनट तक भारी शोर-शराबे में ही चलाया और फिर दो बजे तक सदन स्थगित हुआ। महिला बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने किशोर न्याय, देखभाल-संरक्षण संशोधन विधयेक को शोर-शराबे में ही ध्वनिमत से पारित करा लिया। तृणमूल के डेरेक ओब्रायन ने इस पर वोटिंग की मांग की। पीठासीन सभापति भुवनेश्वर कलिता ने उनकी मांग नहीं मानी और विधयेक को पारित किए जाने का एलान करते हुए सदन को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।

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