धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिव पुराण का पाठ करने से जातक के जीवन में से सभी तरह की परेशानियां जाती हैं तथा हर तरफ खुशहाली ही खुशहाली आती है। कहा जाता है कि भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए शिव भक्त को अपने जीवन मे कम से कम एक बार शिव पुराण का पाठ करना चाहिए। आज से श्रावण मास का प्रांरभ हो गया है, ऐसे में शिव जी की कृपा पाने के लिए व्यक्ति को शिव पुराण का पाठ करना चाहिए। परंतु ध्यान रखे कि इस दौरान कुछ सावधानियों का ध्यान रखना अति आवश्यक होता है। अगर इसे पढ़ते समय किसी प्रकार की भूल हो जाए तो शुभ की जगह अशुभ फल प्राप्त होते हैं। बता दें शिव पुराण के रचयिता महर्षि वेद व्यास जी द्वारा की गई है।
शिव पुराण : 18 महापुराणों में चौथा पुराण
श्लोक : संक्षिप्त ग्रंथ में 24 हजार श्लोक हैं, पहले 1 लाख श्लोक थे
अध्याय : संक्षिप्त रुप में 7 संहिताएं हैं, पहले इसमें 12 संहिताएं थी
इसके अलावा शिव पुराण का पाठ करते समय बरतें ये सावधानियां-
शिव पुराण का पाठ सुनने से पढ़ने से पहले या दौरान जातक के मन में किसी के भी प्रति द्वेष भाव नहीं होना चाहिए। और न शिव पुराण का पाठ करने वाले व्यक्ति को निंदा और चुगली करनी चाहिए। नहीं तो पुण्य की प्राप्ति नहीं होती है।
शिव पुराण का वाचन करने वाले व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। प्रयास करना चाहिए श्रावण मास के दौरान व्यक्ति को जमीन पर सोना चाहिए।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पाठ के संकल्प के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए और तामसिक भोजन से दूरी बना लेनी चाहिए।
कहा जाता है शिव पुराण को पढ़ने या सुनने से पहले तन और मन को शुद्ध करें तथा साफ तथा स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।
ध्यान रहे शिव पुराण के समय मांस-मदिरा, लहसुन, प्याज, हींग और नशीली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।