कई आशंकाओं और दावों के बीच कोरोना की तीसरी लहर करीब दिखाई दे रही है। एक विदेशी ब्रोकरेज फर्म ने आगाह किया है कि डेल्टा वैरिएंट के बढ़ते मामलों और वायरस के म्यूटेट होने से भारत में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका सच साबित हो सकती है। यही बात वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने दुनिया के लिए कही है। संगठन के चीफ डॉ. टेड्रोस गेब्रेयेसस ने बुधवार को देशों को चेतावनी दी कि वे कोरोना की तीसरी लहर के शुरुआती फेज में आ चुके हैं।
10 हफ्ते की गिरावट के बाद मौतें फिर बढ़ीं
UN न्यूज के मुताबिक, हेल्थ एक्सपर्ट ने कोरोना के मामलों और मौतों में हाल में हुई बढ़ोतरी पर अलार्म बजाया है। हाल में यूरोप और नॉर्थ अमेरिका में वैक्सीनेशन कवरेज बढ़ने से इनमें गिरावट आई थी। यूनाइटेड नेशंस की मीडिया विंग का कहना है कि दुनिया भर में लगातार चौथे हफ्ते कोरोना के मामलों में बढ़त दर्ज की गई है। 10 हफ्ते की गिरावट के बाद मौतें भी दोबारा बढ़ने लगी हैं।
WHO चीफ ने कहा कि वायरस लगातार खुद में बदलाव कर रहा है। इसके साथ ही यह ज्यादा संक्रामक होता जा रहा है। उन्होंने बताया कि डेल्टा वैरिएंट अब 111 से ज्यादा देशों में पहुंच चुका है। यह जल्द ही पूरी दुनिया में भी फैल सकता है। वायरस का अल्फा वैरिएंट 178 देशों में, बीटा 123 देशों में और गामा 75 देशों में मिल चुका है।
भारत में पाबंदियों में छूट से जोखिम बढ़ा
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, UBS सिक्योरिटीज इंडिया की चीफ इकोनॉमिस्ट तन्वी गुप्ता जैन ने कहा है कि कई राज्य पाबंदियों में ढील दे रहे हैं, बाजार खुल रहे हैं, इस वजह से तीसरी लहर का जोखिम और ज्यादा हो गया है। देश में वैक्सीनेशन की रफ्तार भी धीमी पड़ने लगी है।
UBS की रिपोर्ट के मुताबिक, पहले भारत में औसतन 40 लाख डोज हर दिन लगाए जा रहे थे। अब यह संख्या 34 लाख तक आ गई है। यह स्थिति इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि अब 45% केस ग्रामीण इलाकों में सामने आ रहे हैं।
20% जिलों में दूसरी लहर खत्म नहीं, तीसरी लहर की आहट
तन्वी गुप्ता जैन ने बुधवार को बताया कि देश के ज्यादातर केस 20% जिलों में मिल रहे हैं। यहां दूसरी लहर का ही असर खत्म नहीं हुआ है और तीसरी लहर की आहट सुनाई देने लगी है। उन्होंने कहा कि इकोनॉमिक पॉइंटर सामान्य हो रहे हैं, लेकिन ये अब भी मिले-जुले नतीजे दिखा रहे हैं। ट्रेन और एयर पैसेंजर की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। वहीं, UBS इंडिया एक्टिविटी इंडीकेटर के मुताबिक टोल कलेक्शन अब भी पहले की स्तर से नीचे हैं।