अनुप्रिया पटेल को केंद्रीय मंत्रिमंडल में मिली जगह

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मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल को भी जगह मिली है. केंद्रीय मंत्रिमंडल में उन्हे जगह देकर बीजेपी ने सहयोगियों के साथ-साथ जातिगत समीकरण को साधने की भी कोशिश की है.

यूपी में चुनाव के कारण मंत्रिमंडल में ‘चुनाव’

देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश इस वक्त विधानसभा चुनाव की दहलीज पर खड़ा है. सियासी जानकार मानते हैं कि मोदी मंत्रिमंडल विस्तार इसी समीकरण के इर्द गिर्द बुना गया है. अनुप्रिया पटेल की मोदी मंत्रिमंडल में एंट्री भी इसी आधार पर हुई है. अनुप्रिया पटेल कुर्मी जाति से आती हैं और उत्तर प्रदेश में कुर्मियों का अच्छा खासा वोट बैंक है. जिनके बिना प्रदेश में सरकार बनना नामुमकिन है.

अनुप्रिया पटेल का सियासी सफर

इसी वोट बैंक को देखते हुए मोदी मंत्रिमंडल में अनुप्रिया पटेल की एंट्री हुई है. उत्तर प्रदेश में छत्रप जातियों के आधार पर अपना वर्चस्व बनाए हुए हैं. ऐसे में बीजेपी भी जानती है कि इन्हें साथ लिए बगैर यूपी की सत्ता में वापसी नहीं हो सकती है. अनुप्रिया पटेल पहले भी मंत्री रह चुकी हैं, बीजेपी ने उन्हें मंत्री बनाकर साथ-साथ होने का संदेश भी दिया है.

अनुप्रिया पटेल का सियासी सफर

साल 2012 में वो पहली बार उत्तर प्रदेश की रोहनिया विधानसभा सीट से विधायक चुनीं गई. साल 2014 लोकसभा चुनाव में अपना दल ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. अनुप्रिया पटेल ने मिर्जापुर लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी. केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी थी.

4 जुलाई 2016 को उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिली थी. अनुप्रिया पटेल मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की राज्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं. 2019 के आम चुनाव में भी अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर सीट से जीत हासिल कर लोकसभा पहुंचीं.

कहानी अपना दल की

अनुप्रिया पटेल के पिता सोनेलाल पटेल को बहुजन समाज पार्टी के संस्थापकों में से एक माना जाता है. मायावती से मतभेद के बाद उन्होंने अलग राह चुनी और अपना दल नाम से राजनीतिक दल का गठन किया. जो पिछड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व करता था. साल 2009 में पिता की एक हादसे में मौत के बाद अनुप्रिया पटेल को सियासत में कदम रखा.

अनुप्रिया पटेल की तीन और बहनें हैं, ये चारों बहनें तब सुर्खियों में आईं जब पिता के निधन के बाद चारों बहनों ने पिता की अर्थी को कंधा दिया था. इस बीच पार्टी भी दो फाड़ हो गई लेकिन अनुप्रिया ने पार्टी को पिता के नाम से जोड़ा और पहले विधानसभा और फिर लगातार दूसरी बार लोकसभा पहुंची हैं. 36 साल की उम्र में केंद्र की मोदी सरकार में वो सबसे युवा मंत्री बनीं.

दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से ग्रेजुएशन और एमिटी यूनिवर्सिटी से साइकोलॉजी में मास्टर डिग्री की है. साथ ही छत्रपति साहू जी महाराज यूनिवर्सिटी कानपुर से एमबीए भी किया है.

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