मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव से पहले शिवराज सरकार बड़ा फैसला लेने जा रही है। प्रदेश में 6,876 अवैध कॉलोनियां नियमित करने के विधेयक को अध्यादेश के माध्यम से जल्दी लागू किया जाएगा। शिवराज कैबिनेट की 6 जुलाई को होने वाली बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है। बता दें, 24 मार्च 2021 को कैबिनेट की बैठक में प्रदेश में अवैध कॉलोनियों को नियमित करने के प्रस्तावित बिल को मंजूरी दी जा चुकी है। इसके साथ ही सरकार महापौर के सीधे चुनाव के लिए भी संशोधन विधेयक लाने की तैयारी कर रही है।
दरअसल, सरकार की तैयारी बजट सत्र में संशोधन विधेयक लाने की तैयारी की थी, लेकिन कोरोना को देखते हुए सत्र समय से पहले स्थगित हो गया। अब विधानसभा का मानसून सत्र 15 अगस्त के बाद आयोजित होने की संभावना है, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस विधेयक को जुलाई में ही लागू करना चाहते हैं, ताकि निकाय चुनाव से पहले इसके नियम बनाए जाएं। जिसमें अवैध कॉलोनी की कट ऑफ डेट, नियमित योग्य कॉलोनी में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए कॉलाेनाइजर और रहवासियों से कितनी राशि ली जाएगी, यह तय हो जाएगा।
प्रदेश में करीब 6,876 अवैध कॉलोनियां हैं। ग्वालियर, जबलपुर, भोपाल और इंदौर में ऐसी कॉलोनियां सबसे ज्यादा हैं। शिवराज सरकार अगर निकाय चुनाव से पहले इन्हें नियमित कर देती है, तो यह बीजेपी के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है।
नियमितीकरण का सबसे बड़ा फायदा
नियमितीकरण का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि लोगों के अवैध मकान प्रक्रिया के तहत वैध हो जाने से उन्हें बैंक लोन की पात्रता मिल जाएगी। कॉलोनी में नगरीय निकाय के जरिए सड़क, बिजली, पानी की सुविधा मिलने लगेगी। यह भी तय किया है, जिन मकानों में नक्शे से अधिक निर्माण किया है, उसमें 20% अधिक निर्माण की कंपाउंडिंग यानी समझौता शुल्क लेकर सेटल किया जाएगा। इससे अधिक निर्माण को तोड़ा जाएगा।
नक्शे स्वीकृत होंगे, बैंक से लोन मिल सकेगा
अवैध कॉलानियों को नियमित करने का संशाेधित कानून लागू होने के बाद निर्मित मकानों के नक्शे स्वीकृत होंगे। साथ ही, लोग निर्माण के लिए बैंक से लोन भी ले सकेंगे। इन कॉलाेनियों में कई प्लाॅट अभी भी खाली पड़े हैं, क्योंकि नक्श स्वीकृत नहीं होने के कारण बैंक से लोन नहीं मिल पाया था।
दिसंबर 2016 तक के निर्माण होंगे शामिल
मध्य प्रदेश नगर पालिका (कॉलोनाइजर का रजिस्ट्रीकरण, निर्बंधन तथा शर्तें) नियम 1998 में नियम 15-क जोड़ा गया था। इसमें 31 जून 1998 तक विकसित अनाधिकृत कॉलोनियों और उसमें भूखंडों पर अवैध निर्माण का शुल्क लेकर नियमितीकरण करने का प्रावधान था। इस समय सीमा को पहले 30 जून 2002 तक फिर 31 दिसंबर 2016 तक बढ़ाया गया था।
ये प्रावधान होंगे
– पहले अवैध काॅलोनी निर्माण के दौरान रहवासी को भी अभियुक्त बनाया जाता था, लेकिन नए कानून में सिर्फ कॉलोनाइजर के खिलाफ कार्रवाई होगी।
– बिना अनुमित निर्माण करने पर काॅलोनाइजर अथवा बिल्डर के खिलाफ 7 साल तक की सजा और 10 लाख रुपए का जुर्माना होगा।
– यदि बिल्डर ने यह राशि नहीं चुकाई, तो बैंक गारंटी या फिर संपत्ति कुर्क की जाएगी।
– नगर निगम के अफसरों की जवाबदेही भी तय की गई है। यदि अवैध निर्माण होता है, तो संबंधित अफसर व कर्मचारी के खिलाफ भी कार्रवाई होगी।