सागर। कोरोना महामारी ने कई तरह के व्यवसाय की कमर तोड़ कर रख दी है. आलम ये है कि लगातार दो साल से कोरोना महामारी के लॉकडाउन और कोरोना गाइडलाइन बंदिशों के चलते कई व्यवसाय पूरी तरह ठप हो गए हैं. खासकर शादी और अन्य समारोह को लेकर लगाई गई बंदिशों के चलते ये व्यवसाय पूरी तरह से ठप हो गया है. कैटरिंग में लगे लोग इंतजार में हैं कि कब महामारी खत्म हो और उनका व्यवसाय पटरी पर आए.
मजदूर वर्ग रोटी के लिए मोहताज
वहीं, दूसरी तरफ कैटरिंग व्यवसाय से जुड़ा मजदूर वर्ग दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज हैं. इस बीच जब लॉकडाउन खुल जाता है, तो शादी-समारोह और अन्य कार्यक्रमों की बंदिशें फिर भी जारी रहती हैं. ऐसे में कैटरिंग का व्यवसाय पटरी पर नहीं आ पा रहा है. लंबे समय तक यही हालात रहे, तो एक बहुत बड़ा तबका अपनी रोजी-रोटी से हाथ धो बैठेगा.
शादी और बड़े आयोजनों पर कोविड गाइडलाइन का साया
दरअसल, मार्च 2020 से कोरोना महामारी ने देश की व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया है. करीब सवा 2 महीने के 2020 के लॉकडाउन और 2021 में 2 महीने के लॉकडाउन ने सभी तरह के व्यवसाय की कमर तोड़ दी है. कई व्यवसाय ऐसे हैं, जो लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी नहीं उबर पाते हैं, जिनमें कोविड गाइडलाइन की बंदिशें जारी रहती हैं. खासकर शादी ब्याह और ऐसे आयोजन जिनमें भीड़ होती है, ऐसे कार्यक्रमों पर बंदिशें अभी भी जारी है. जब तक बंदिशें हटती है, तो शादी के मुहूर्त समाप्त हो जाते हैं. इन परिस्थितियों के चलते शादी के आयोजन से जुड़े कैटरिंग, टेंट, बेंड बाजे और डीजे के रोजगार से लगे मजदूर और व्यवासाई भारी संकट से गुजर रहे हैं.
कैटरिंग व्यावसाय हुआ पूरी तरह से ठप
कैटरिंग व्यवसाय एक ऐसा व्यवसाय है, जो शादी जैसे समारोह और इसी तरह के आयोजनों पर निर्भर है. कोरोना महामारी के चलते सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए सबसे ज्यादा बंदिशे इसी तरह की आयोजन पर होती हैं. शादी समारोह में लॉकडाउन के दौरान शामिल होने वाले मेहमानों की संख्या 20 निर्धारित कर दी गई थी, तो लॉकडाउन खत्म होने के बाद 50 मेहमानों की संख्या तय की गई है. इन परिस्थितियों में शादियों में या तो कैटरिंग वालों को बुलाया नहीं जाता है और अगर बुलाया भी जाता है, तो कम से कम मजदूरों को काम मिलता है.
सैकड़ों व्यावसायी और हजारों मजदूर वर्ग परेशान
एक अनुमान के मुताबिक, सागर शहर में कैटरिंग से जुड़े छोटे-बड़े व्यवसायियों की संख्या करीब एक हजार है. हर व्यवसायी के साथ 50 से लेकर 200 मजदूर जुड़े रहते हैं.आयोजनों में मेहमानों की संख्या की बंदिश होने के कारण महज 10-20 मजदूरों को ही काम मिल पाता है.
मजदूर रोजाना खर्चे और व्यावसायी धंधे के लिए परेशान
इन परिस्थितियों पर जहां कैटरिंग व्यवसाय में लागत लगाकर अपनी किस्मत आजमाने वाले व्यवसायी परेशान हैं. दूसरी तरफ कैटरिंग व्यवसाय से जुड़ा मजदूर वर्ग रोजाना मजदूरी के लिए परेशान हैं. कैटरिंग व्यवसायी जहां खाली हाथ घर बैठकर जमा पूंजी खर्च करने के लिए मजबूर हैं, तो दूसरी तरफ मजदूर वर्ग राशन की कतारों में लगने के लिए मजबूर है. खाना पीने के दूसरे खर्चों के लिए उसकी जेब पूरी तरह खाली है.
कैटरिंग के साथ जुड़े अन्य व्यावसाय भी प्रभावित
इन बड़े आयोजनों से कैटरिंग व्यवसाय के अलावा टेंट व्यवसाय, डीजे साउंड सिस्टम, बेंड बाजा, आतिशबाजी, सैलून जैसे व्यावसाय भी प्रभावित हो रहे है. रोजाना बदल रहे ट्रैंड को देखते हुए समय-समय पर बदलाव के लिए लागत भी लगाना पड़ती है, लेकिन व्यावसाय ठप होने के कारण व्यावसायी कर्जदार हो रहा है और मजदूर वर्ग बेरोजगार है.