होम लोन ट्रांसफर करवाना फायदेमंद है?

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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस महीने रीपो रेट को 25 बेसिस पॉइंट्स तक कम कर दिया। द्वीमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में महत्वपूर्ण लेंडिंग रेट में लगातार तीसरी बार कटौती की थी। रीपो रेट घटकर 5.75% हो गया है जो जुलाई 2010 के बाद सबसे कम है। चूंकि रीपो रेट देश में कमर्शल डिपॉजिट और लोन रेट्स को प्रभावित करता है, इसलिए गिरते रीपो रेट के कारण छोटे कर्ज लेने वालों के चेहरे पर खुशी की लहर दिखाई देनी चाहिए? इसका जवाब देना इतना आसान नहीं है। बैंक, आरबीआई की तरफ से ब्याज दरों में होने वाली इन कटौतियों को अपने ग्राहकों तक पूरी तरह पहुंचाने में सक्षम नहीं रहे हैं। ऐसे में रीपो रेट के मुकाबले ब्याज दर में गिरावट की रफ्तार बहुत धीमी है। पिछले एक साल के होम लोन रेट्स पर नजर डालने पर पता चलता है कि कुछ मामलों में रीपो रेट के घटने के बावजूद लोन रेट्स बढ़ गए हैं।

*सार्वजनिक क्षेत्र के एक प्रमुख बैंक की वेबसाइट पर दिए गए विज्ञापन के अनुसार 30 लाख रुपये से कम के होम लोन के लिए सबसे कम रेट।

मध्य-जुलाई 2018 में रीपो रेट 6.25% था जबकि 30 लाख रु. से कम होम लोन के लिए सबसे कम इंट्रेस्ट रेट यानी 8.45% का विज्ञापन दिया जा रहा था। एक साल बाद, रीपो रेट 50 बेसिस पॉइंट्स तक घट गया है जबकि उसी लोन का रेट 10 बेसिस पॉइंट्स तक बढ़ गया है। छोटे लोन लेने वालों को भी रेट कटौती का लाभ मिलना चाहिए। वे चाहते हैं कि गिरते रीपो रेट के साथ उनकी ईएमआई थोड़ी और कम हो जाय और उधार लेने का खर्च भी कम हो जाय। इसलिए, ऐसी परिस्थिति में जहां उनके अपने लोन का रेट कम नहीं हो रहा है, क्या छोटे लोन लेने वालों को अपने घर को फिर से फाइनैंस करने के बारे में सोचना चाहिए?

इंट्रेस्ट रेट्स की तुलना करें
आपको बाजार में चल रहे होम लोन इंट्रेस्ट रेट्स पर नजर रखनी चाहिए। हो सकता है कि आपके अपने बैंक ने अपना रेट कम कर दिया हो, बावजूद इसके आप तुलनात्मक रूप से ज्यादा रेट दे रहे हों। 1 अप्रैल, 2016 से सभी बैंकों के लोन को बैंक के एमसीएलआर से लिंक कर दिया गया था। इसी के साथ बेस रेट वाली व्यवस्था का अंत हो गया था जो कि रेट कट को उधारकर्ताओं तक पहुंचाने में कम असरदार था। एमसीएलआर लिंक्ड लोन के साथ समय-समय पर इंट्रेस्ट रेट में संशोधन करना जरूरी हो गया।

1 अप्रैल 2018 से आरबीआई ने सभी बैंकों को पुराने बेस-रेट से जुड़े लोन को अपने एमसीएलआर से लिंक करने का आदेश दिया। इसके बाद आरबीआई ने ऐलान किया कि 1 अप्रैल 2019 से सभी बैंकों के लोन को बाहरी बेंचमार्कों के साथ लिंक करना होगा। अब तक सिर्फ एसबीआई ने अपने डिपॉजिट और एक होम लोन प्रॉडक्ट को एक बाहरी बेंचमार्क के साथ लिंक किया है। उन्होंने इस बेंचमार्क के रूप में रीपो रेट का चुनाव किया है। एक बाहरी बेंचमार्क के साथ बैंक बेहतर तरीके से रेट कट को ट्रांसमिट कर सकते हैं। इसलिए, आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि क्या आप कम्पटीटिव इंट्रेस्ट रेट दे रहे हैं?

इंटरनल ट्रांसफर के बारे में बैंक से पूछें
अपने घर को फिर से फाइनैंस करने का ऑप्शन चुनने से पहले अपने बैंक या एनबीएफसी से अपना लोन रेट कम होने की संभावना के बारे में पूछ लें। अगर फायदेमंद हो तो प्रोसेसिंग फीस भी दिया जा सकता है। यदि आप लोन को किसी दूसरे बैंक या एनबीएफसी में ट्रांसफर करने के बारे में सोच रहे हैं तो सबसे अच्छी डील पाने के लिए पूरे बाजार की अच्छी तरह छानबीन करें। इसके अलावा, किसी एक विकल्प पर आगे बढ़ने से पहले अपने सभी लोन ऑप्शंस को अच्छी तरह शॉर्टलिस्ट करना न भूलें। अंत में, एक बार में कई सारे लोन के लिए आवेदन न करें क्योंकि ऐसा करने से आपका क्रेडिट स्कोर खराब हो सकता है।

रीफाइनैंसिंग से पहले दीर्घावधि बचत का आकलन करें
मान लीजिए, आपने 9% की दर से 20 साल के लिए 50 लाख रु. का उधार लिया था। आपकी ईएमआई 44,986 रु. है और 20 साल में आपको कुल 57.96 लाख रु. ब्याज देना है। मान लीजिए, आप तीन साल तक इसी प्लान पर चलते रहे हैं। अब, 36 ईएमआई देने के बाद आप लोन ट्रांसफर के बारे में सोच रहे हैं।

मान लीजिए अब आपके पास किसी दूसरे लोन में जाने का मौका है जो आपको 8.75% पर दिया जा रहा है। तीन साल में आप पहले ही 16.19 लाख रु. दे चुके हैं, जिसमें आपका प्रिंसिपल अमाउंट का पेमेंट सिर्फ 3.08 लाख रु. ही था। आपका लोन बैलेंस अभी भी 46.92 लाख रु. है। यदि आप 8.75% के इंट्रेस्ट रेट पर अगले 17 साल के लिए अपने घर की रीफाइनैंसिंग करते हैं तो आपकी ईएमआई थोड़ी कम यानी 44,268 रु. हो जाएगी। और नए लोन पर आपका इंट्रेस्ट 43.38 लाख रु. होगा। जिसे पहले ही दिए जा चुके इंट्रेस्ट अमाउंट के साथ जोड़कर देखने पर यह कुल मिलाकर 56.49 लाख रु. हो जाएगा। यह रकम आपके अपने पहले लोन की ईएमआई का पेमेंट जारी रखने पर दिए जाने वाले अमाउंट से 1.47 लाख रु. कम है।

ध्यान रखें कि ये आंकड़े सिर्फ उदाहरण के लिए हैं और एक फ्लोटिंग रेट लोन पर आपका वास्तविक ब्याज, इंट्रेस्ट रेट में होने वाले बदलाव के साथ बढ़ या घट सकता है। आपको अपने संभावित मुनाफे में से अपने घर को फिर से फाइनैंस करने के खर्च को यानी नए लोन की प्रोसेसिंग फीस और पुराने लोन को बंद करने पर लगने वाली फीस इत्यादि को भी जरूर घटा लेना चाहिए।

तारीखइंट्रेस्ट रेटरीपो रेटअंतर
14 जून, 20198.555.752.80
17 मई, 20198.556.002.55
19 अप्रैल, 20198.606.002.60
3 मार्च, 20198.706.252.45
15 फरवरी, 20198.706.252.45
18 जनवरी, 20198.756.502.25
12 दिसंबर, 20188.756.502.25
16 नवंबर, 20188.706.502.20
19 अक्टूबर, 20188.706.502.20
14 सितंबर, 20188.656.502.15
17 अगस्त, 20188.456.501.95
13 जुलाई, 20188.456.252.20

लंबे समय में आपके होम लोन का खर्च अपने घर को हासिल करने के शुरूआती खर्च से कहीं अधिक हो जाता है। इसलिए, इंट्रेस्ट रेट पर नजर रखना और जरूरत पड़ने पर सही कदम उठाना जरूरी होता है। फिर से फाइनैंस करने के सबसे अच्छे मौकों का पता लगाने के लिए समय-समय पर ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर गौर करते रहें। इससे लंबे समय में आपके लाखों रुपये बच सकते हैं और आपको अपने कर्ज से जल्दी से छुटकारा पाने में भी मदद मिल सकती है। 

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