विवादित तहसीलदार बना बिलासपुर डिप्टी कलेक्टर

छत्तीसगढ़ बिलासपुर

बिलासपुर ।  पूर्व राजस्व मंत्री अमर अग्रवाल ने राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। बिलासपुर भूमफियाओं के लिए स्वर्ग बन गया है। बिहार उत्तरप्रदेश की तर्ज पर बिलासपुर में जमीन का कब्जा जोरो हो रही है।
आये दिन जमीन जायजाद को लेकर मारपीट हो रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि तहसीलदार नारायण गवेल पर शुरू से आरोप लगते रहें है जमीन के गोरख धंधे के उसी तहसीलदार को डिप्टी कलेक्टर बिलासपुर बनाकर बैठा दिया गया है। बताया जाता है नारयण गवेल राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के बेहद करीबी माने जाते है। इसी कारण उनसे उनके आला अधिकारी भी भय खाते है। सूत्रों की माने तो किसी बड़े काम को निपटाने के लिए नारायण गवेल को डिप्टी कलेक्टर बना कर बिलासपुर में ही बैठा दिया। आम जनता की शिकायतों के बाद और भाजपा के पूर्व मंत्री और कद्दावर नेता अमर अग्रवाल की खुले आरोप के बाद भी राज्य शासन ने उनको यही डिप्टी कलेक्टर बना कर यही बैठा दिया। लोगों को समझ मे यह नहीं आ रहा है कि इस सरकार में हो क्या रहा है। क्या प्रदेश में बेदाग अफसरों की बेहद कमी है। कि सरकार नारयण गवेल जैसे अफसरों की ही जरूरत है। क्या आम जनता की पीड़ा से सरकार को कोई सरोकार है। आम जनता की गाढ़ी कमाई का खून चूसकर जमीन का गोरखधंधा करने वाले नेता मत्रियोँ को पैसा पहुचाने वाले अधिकारियों की ही सरकार को जरूरत है। पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल 15 साल विधायक मंत्री रहे मगर उन्होंने बिलासपुर में 15 साल में माफियां पैदा नहीं होने दिया। किसी को डॉन जैसा बनने नहीं दिया। लेकिन बिलासपुर में वर्तमान हालात बहुत खराब है। यूपी बिहार की तर्ज पर भू माफिया पैदा हो रहे है। ऐसे ही हालात रहे तो भविष्य में शरीफ और सज्जन लोग बिलासपुर में जमीन खरीदना बन्द कर देंगे। कांग्रेस सरकार को नारयण गवेल जैसे विवादित छवि के अधिकारियों को बिलासपुर से तबादला करके बिलासपुर में भय के वातावरण को साफ करना चाहिए। अगर ऐसा नही हुआ तो आने वाले ढाई साल बाद जनता खुद साफ कर देगी। मोपका से लेकर लिंगियाडीह तक ऐसे कई जमीन है जो सड़क से 500 मीटर दूर होने के बावजूद हवा में उड़ा कर शासकीय जमीन में सड़क के किनारे बैठा दिया। ऐसा एक नही कई कारनामा साहेब न किया है फिर भी ऐसे अधिकारी के ऊपर कुछ अधिकारी और मंत्री जी मेहरबान है। अभी हाल ही में मारपीट से गवेल को जोड़कर देखा जा रहा है। पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने जिन तीन चार जमीनों के विवाद का जिक्र किया है उन सभी मे कहीं न कहीं अभय और नारायण गवेल का नाम दबे जबान में लिया जा रहा हैं।

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