रायपुर ।
छत्तीसगढ़ में मलेरिया का सबसे ज्यादा प्रकोप नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में रहता है। इसे देखते हुए सरकार ने जनवरी-फरवरी 2020 में मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान शुरू किया था। अब तक तीन चरणों में करीब 50 लाख लोगों की जांच की गई। इसमें एक लाख से ज्यादा पाजिटिव मिले। चौंकाने वाली बात यह है कि बस्तर संभाग में तीन चरणों की स्क्रीनिंग में 57 से 60 फीसद मरीजों में मलेरिया के कोई लक्षण नहीं थे।
नियमित सर्विलेंस के दौरान मलेरिया के ऐसे मामले पकड़ में नहीं आते हैं। बिना लक्षण वाले मरीज समुदाय में रहते हैं और इनके द्वारा मलेरिया का संक्रमण होते रहता है। अलक्षणिक मलेरिया एनीमिया और कुपोषण का भी कारण बनता है। साथ ही कुपोषण और शिशु-मातृ मृत्यु की आशंका बढ़ जाती है। यही कारण है कि बस्तर में 15 जून से शुरू अभियान के चौथे चरण में बिना लक्षण वालों को भी उपचार देने का फैसला किया गया है।
मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान की प्रभारी और एनएचएम डायरेक्टर डा प्रियंका शुक्ला ने बताया कि मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के दूसरे एवं तीसरे चरण में स्वास्थ्य विभाग की टीमों द्वारा मलेरिया के साथ-साथ कोविड-19 के लक्षणों वाले व्यक्तियों की भी स्क्रीनिंग की गई। अभी चौथे चरण में भी ऐसे लोगों की स्कीनिंग की जा रही है।
अभियान के दौरान उप स्वास्थ्य केंद्रों के सभी गांवों में करीब 34 लाख मेडिकेटेड मच्छरदानियों का वितरण किया गया। घरों में मच्छर पैदा करने वाले स्रोतों को भी नष्ट किया गया। 31 जुलाई तक चलने वाले चौथे चरण के शुरुआती चार दिनों में ही स्वास्थ्य विभाग की टीम करीब 31 हजार घरों तक पहुंची। इस दौरान एक लाख 28 हजार से अधिक लोगों की मलेरिया जांच कर पाजिटिव पाए गए एक हजार 66 मरीजों का इलाज शुरू किया गया है। मई-2020 की तुलना में मई-2021 में मलेरिया के मामलों में 39 प्रतिशत की कमी आई है।