नई दिल्ली।
कोरोना महामारी की पहली और दूसरी लहर में बच्चे भले ही अपेक्षाकृत महफूज रहे हों, वायरस के स्वरूप में तेजी से हो रहे बदलाव को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकारें उन्हें तीसरी लहर से बचाने की तैयारियों में जुट गई हैं। एक ओर केंद्र सरकार जहां, बच्चों के लिए वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए मिशन मोड पर काम कर रही हैं, तो वहीं राज्य सरकारें बच्चों के लिए विशेष कोविड वार्ड को प्राथमिकता के आधार पर तैयार कर रही हैं। हालांकि, विशेषज्ञ तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित नहीं होने का दावा कर रहे हैं।
तीसरी लहर को रोकने की तैयारी
भयावह दूसरी लहर के बीच स्वास्थ्य की आधारभूत संरचना के धराशायी होने के बाद सरकारें तीसरी लहर के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं। बच्चों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जा रही है। कोरोना पर गठित मंत्रिमंडलीय समूह को इस पर नजर रखने को कहा गया है। महाराष्ट्र सरकार ने बच्चों के लिए अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या को मौजूदा 600 से बढ़ाकर 2,300 करने का फैसला किया है।
यूपी सरकार ने दिए ये निर्देश
वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने सभी 58 मेडिकल कॉलेजों में से प्रत्येक में बच्चों के लिए 150 बिस्तरों की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। ये बिस्तर आक्सीजन समेत सभी जरूरी उपकरणों से लैस होंगे। अन्य राज्य भी इसी तरह की तैयारियों में जुटे हैं और इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी राज्य के संबंधित अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं।
ऑक्सीजन प्लांट लगाने पर जोर
पिछली बार पीएमकेयर फंड से धन आवंटित होने के बावजूद आक्सीजन उत्पादन प्लांट अस्पतालों में नहीं लग पाए थे, इस बार केंद्र सरकार सभी जिला अस्पतालों समेत कुल 551 प्लांट लगाने काम जल्द से जल्द पूरा कराने में जुटी है। इसके अलावा राज्य सरकारें निजी अस्पतालों को भी आक्सीजन उत्पादन प्लांट लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं।
माता-पिता को प्राथमिकता
इसके अलावा अधिक से अधिक टीकाकरण कर तीसरी लहर को रोकने की कोशिशें भी जारी हैं। इसके लिए केंद्र सरकार दिसंबर तक 18 साल से अधिक उम्र के सभी देशवासियों को टीका लगाने की योजना पर काम कर रही है। परंतु, बच्चों के लिए अभी देश में कोई टीका नहीं है। इसको देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने बच्चों के माता-पिता और अभिभावकों को प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण शुरू कर दिया है ताकि बच्चों तक संक्रमण को पहुंचने से रोका जा सके।
बच्चों की कई वैक्सीन पर तेजी से काम
कोरोना महामारी की संभावित तीसरी लहर से देश के लगभग 40 करोड़ बच्चों को बचाने के लिए वैक्सीन की 80 करोड़ डोज की जरूरत पड़ेगी। फिलहाल देश में बच्चों के लिए कोई वैक्सीन नहीं है। इस महीने के अंत तक जायडस कैडिला की वैक्सीन को मंजूरी मिलने की उम्मीद की जा रही है। यदि यह सफल रहा तो 12 से 18 साल के बच्चों के लिए वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी।
इन वैक्सीन से राहत की उम्मीद
जायडस कैडिला की उत्पादन क्षमता को देखते हुए यह बच्चों की जरूरत के मुताबिक कम पड़ेगी। इसके बाद उम्मीद भारत बायोटेक की कोवैक्सीन से है। अगस्त तक इसके बच्चों पर शुरू हुए ट्रायल के डाटा आ जाएंगे। यदि यह वैक्सीन कारगर साबित होती है, तो इससे बच्चों का बड़े पैमाने पर टीकाकरण शुरू हो सकता है। इसके साथ ही फाइजर की वैक्सीन भी यदि विदेश से आती है तो उसका बच्चों के लिए उपयोग किया जा सकता है।