कांकेर:पखांजुर क्षेत्र के कई इलाकों में अवैध लाल ईट के भट्टी का संचालन किया जा रहा है आपको बता दे की अवैध लाल ईंट भट्ठे का संचालन प्रशासन की अनदेखी की वजह से हो रहा है l तहसील क्षेत्र के आसपास के प्रत्येक गांव में एक न एक ईट भट्ठा धधक रहा है इन भठ्ठों से ना केवल शासन को राजस्व की हानि होती है वहीं आसपास का वातावरण भी प्रदूषित होता है l इसके बाद भी खनिज का अमला लाल ईंट भट्ठा को बंद कराने के लिए कोई भी कार्यवाही नहीं करती।
क्षेत्र में लगभग 50 से भी अधिक लाल ईंट भट्ठे का संचालन होता है नगर के आसपास व तहसील क्षेत्र में ग्रामीण इलाकों में व्यापक पैमाने पर अवैध तरीके से लाल ईंट भट्ठे का संचालन किया जा रहा है l जिससे सैकड़ों एकड़ कृषि जमीन ईट भट्ठा से तपकर बंजर हो रही हैl तो वहीं पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है l बिजली चोरी की आशंकाओं के साथ जल स्रोतों की बर्बादी भी हो रही है लेकिन जिम्मेदार विभाग को इसकी कोई परवाह नहीं है l
अंचल के गांव पीवी 9 ,पीवी ,पीवी 19,पीवी 18,पीवी 26, रूपनगर, कापसी,बांदे आदि दर्जनों गांव में ईट भट्ठे अवैध तरीके से संचालित हो रहे हैं ,जबकि लाल ईंट भट्ठा पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है इसके बाद भी अवैध रूप से ईट भट्ठा संचालित गांव में नदी किनारे में अवैध संचालित किया जा रहा है l अगर खनिज विभाग द्वारा शक्ति से अवैध ईंट भट्टे पर कार्यवाही की जाती है तो क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध संचालन को रोकने में कामयाबी मिल सकती हैl ईटों को पकाने के लिए अधिकांश भट्ठा संचालक हरे भरे पेड़ों का इस्तेमाल करते हैं जिसके चलते हरे भरे पेड़ों की बेतहाशा कटाई से पर्यावरण संतुलन बिगड़।
खनिज ,राजस्व विभाग की अनदेखी से नहीं होती कार्रवाई
नगर से बाहर निकलते ही आस-पास के गांव में अवैध रूप से ईट भट्टे का संचालन करते देखा जा सकता है इसके बाद भी विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जाती, कार्यवाही नहीं होने से हौसले बुलंद है l ईट बनाने के लिए काफी मात्रा में पानी की जरूरत होती है जो कृषि बोर पंप और नदियों से लिया जाता है क्षेत्र में ज्यादातर नदी या तालाब किनारे ही संचालित है जल स्रोत सूख जाएंगेl