रायपुर।
राज्य में एक तरफ जहां लगातार ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) के मरीज बढ़ रहे हैं। वहीं इसके इंजेक्शन और दवाओं की समस्या लगातार गंभीर होते जा रही है। ऐसे में मरीजों के लिए दवाओं का संकट लगातार गहराता जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक राज्य में अब तक 259 ब्लैक फंगस के मरीज मिले हैं। वहीं 110 लोगों के अब तक आपरेशन हुए हैं। 16 मरीज स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हुए और अब तक 13 लोगों की ब्लैक फंगस से मौत हुई है। प्रदेश में मिले सर्वाधिक मरीज एम्स में भर्ती किए गए हैं।
ऐसे में बड़े पैमाने पर यहां ब्लैक फंगस की दवा को जरूरत पड़ रही। लेकिन 50 फीसद ही आपूर्ति हो पा रही है। एम्स प्रबंधन के मुताबिक हर दिन 500 वायल दवाओं की जरूरत है। लेकिन केंद्र और राज्य के सहयोग से औसत 250 वायल तक उपलब्ध हो पा रहे हैं।
इधर आंबेडकर अस्पताल व प्राइवेट अस्पतालों में भी दवाओं की किल्लत सामने आ रही है। ब्लैक फंगस की दवा का कट्रोल प्रशासन के पास है। औषधि विभाग जरूरत जितनी दवाएं आ रही। जरूरत के हिसाब से अस्पतालों में वितरण कर रहा। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दवाओ को लेकर समय रहते पहल नहीं किया गया, मरीज अधिक बढ़ने पर स्थिति गंभीर हो सकती है।
अस्पतालों में सर्जन की कमी, वेटिंग की वजह से मरीजों हालत गंभीर
छत्तीसगढ़ हास्पिटल बोर्ड के अध्यक्ष और वरिष्ठ ईएनटी विशेषज्ञ डॉक्टर राकेश गुप्ता ने कहा कि ब्लैक फंगस बेहद तेजी से फैलता है। नाक में प्रवेश करने के तीन दिन के भीतर ही यह मस्तिष्क में पहुंच जाता है। एम्स, आंबेडकर अस्पताल जैसे अन्य जगहों पर सर्जन की समस्या आ रही है। इसके चलते आपरेशन में मरीजों को वेटिंग में रखना पड़ रहा है। चूंकि ब्लैक फंगस इंफेक्शन बड़ी तेजी से फैलता है।
जल्द आपरेशन नहीं किया जाता तो मरीजों की हालत खराब हो जाती है। समस्या को देखते हुए हमने 10 से 12 ईएनटी सर्जन का एक ग्रुप बनाया है। जो सरकारी अस्प्तालों में ब्लैक फंगस के मरीजों की सर्जरी और इलाज के लिए निश्शुल्क सेवा देने के लिए तैयार है। ताकि इस बढ़ते संकट को रोका जा सके। प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजेंगे। सरकार के निर्देश के अनुसार सेवाएं उपलब्ध करा सकते हैं।