बिलासपुर । भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार ने केवल लोगों को छलने का काम किया है। केंद्र की भाजपा सरकार सत्ता और स्वार्थ के लिए राष्ट्रीय हितों को अनदेखा कर राष्ट्रीय मूल्यों से समझौता किया है। ” उक्त बातें आज पूर्व विधायक मस्तूरी दिलीप लहरिया ने कही। ज्ञात रहे कि केंद्र में मोदी सरकार के 7 वर्ष पूरे होने पर भाजपा इसे विकास के सात वर्ष के रूप में प्रचारित कर रही है, वहीं कांग्रेस मोदी सरकार के 7 वर्षों को देश का सबसे खराब कार्यकाल बताते हुए भाजपा के विकास के दावों की पोल खोल रही है। इसी क्रम में आज पूरे प्रदेश में कांग्रेस द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर मोदी सरकार के जनविरोधी नीतियों को बताया जा रहा है। ब्लॉक अध्यक्ष नागेंद्र राय ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार देश के किसान, जवान, युवा, व्यापारी, मध्यमवर्ग, गरीब, मजदूर हर तरह के लोगों को ठगा है। मोदी सरकार ने धार्मिक उन्माद को प्रश्रय देकर लोगों को बांटने का काम किया है। अंग्रेजों की फूट डालो, शासन करो नीति का समर्थक है यह भाजपा सरकार। अंतरराष्ट्रीय संबंधों और विदेश नीति में भी पूरी तरह असफल यह मोदी सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देश का नाम खराब किया है। भाजपा द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने का वादा कर कृषि कानूनों के द्वारा माध्यम से खेती को खत्म किए जाने का प्रयास किया जा रहा है।
मोदी के कार्यकाल में किसानों के फसलों का समर्थन मूल्य तो कम बढ़ा, वरन खाद और कीटनाशकों के दाम आसमान छूने लगे। बेरोजगारी का सबसे खराब दौर इन 7 वर्षों से देश देख रहा है। लोगों की रोजगार, नौकरियां छीनी जा रही है। दो करोड़ नौकरियां देने की वादा कर सत्ता में आई मोदी सरकार ने कई करोड़ लोगों को बेरोजगार कर दिया। 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था का सपना दिखाकर नरेंद्र मोदी की अर्थ नीति ने जीडीपी को – 23.9 तक पहुंचा दिया। 7 सालों में विकास के नाम पर विनाश ही हुए हैं। राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचा गया नवरत्न कंपनियों का निजीकरण किया गया।पूर्व विधायक लहरिया ने केंद्र के नरेंद्र मोदी सरकार पर नोटबंदी, जीएसटी के माध्यम से देश को बर्बाद करने का आरोप भी लगाया। लहरिया ने कहा कि केंद्र सरकार अपने कुछ उद्योगपति मित्रों के हितों के लिए ही कार्य कर रही है।
40 बागी विधायकों में से 5 को मिली हार, सामना के जरिए उद्धव ठाकरे ने शिंदे को राजनीति छोड़ने के वादे की दिलाई याद
शिवसेना (यूबीटी) ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को उनके राजनीति छोड़ने के वादे की याद दिलाई, यदि 2022 में अविभाजित शिवसेना के विभाजन के दौरान उनके साथ रहने वाले…