भोपाल।
कोरोना कर्फ्यू के चलते राजधानी की सभी सब्जी मंडियां भी बंद हैं। 11 मील समेत कुछ अन्य स्थानों पर अस्थायी रूप से मंडी लग रही हैं, पर दूरी अधिक होने से किसान वहां नहीं पहुंच पा रहे हैं। लिहाजा, किसानों को सब्जियां फेंकने पर मजबूर होना पड़ रहा है। शहर के समीप खजूरीकलां गांव में तो कई किसान अपनी टमाटर, भिंडी, लौकी, गिलकी समेत अन्य सब्जी के पौधे उखाड़कर फेंक रहे हैं।
गौरतलब है कि राजधानी के लगभग 80 फीसद हिस्से में करोंद मंडी से सब्जियों की आपूर्ति होती है। इसके अलावा हबीबगंज, भदभदा, बिट्ठन मार्केट, आनंद नगर आदि स्थानों पर भी मंडियां लगती हैं। कोरोना कर्फ्यू के कारण 12 अप्रैल से ही मंडी बंद है। इससे वहां पर सब्जियों की आवक थम गई है। जिला प्रशासन ने कुछ स्थानों पर व्यापारी व किसानों के लिए सब्जी की खरीदी-बिक्री की अस्थायी व्यवस्था की है, लेकिन वहां पर पर्याप्त मात्रा में सब्जी नहीं बिक रही है। दरअसल, अस्थायी मंडी शहर से बाहर है। दूसरी ओर यहां पर किसानों को उनकी सब्जी के भाव भी बेहतर नहीं मिल रहे हैं। यही कारण है कि किसान वहां सब्जी न ले जाकर उन्हें खेतों में ही नष्ट कर रहे हैं।
अधिकांश किसानों ने पौधे उखाड़े
खजूरीकलां समेत आसपास के अधिकांश किसानों ने सब्जी के पौधे उखाड़ने शुरू कर दिए हैं। कृषक कुबेर सिंह राजपूत ने बताया कि एक किलो टमाटर की कीमत चार-पांच रुपये भी नहीं मिल रही है। लौकी, गिलकी, भिंडी आदि सब्जियों के भाव भी बहुत कम मिल रहे हैं। यदि इन्हें अस्थायी मंडियों में लेकर जाएंगे तो परिवहन का खर्च भी नहीं निकलेगा। इसलिए पौधे उखाड़कर खरीफ फसल की तैयारी कर रहे हैं। कृषक भगवान सिंह राजपूत ने बताया कि सब्जियों को पौधे से तोड़ने के बाद मंडी में ले जाना पड़ता है। वरना खराब हो जाती हैं। कोरोना कर्फ्यू के कारण सब्जी नहीं बेच पा रहे हैं।
मंडी खुलने पर मिलेगी राहत
किसानों का कहना है कि कोरोना कर्फ्यू खुलने के बाद सब्जी की खपत भी बढ़ जाएगी। इससे किसानों को भाव अच्छे मिलेंगे। इसलिए सब्जी मंडियां भी खोल दी जाना चाहिए।