जबलपुर ।
ब्लैक फंगस से निपटने के लिए नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रशासन ने कमर कस ली है। मेडिकल के डीन ने आपात बैठक बुलाई जहां इस संक्रमण से निपटने के लिए रूपरेखा तय की गई। ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए मेडिकल में एक वार्ड आरक्षित कर दिया गया है जहां फिलहाल 15 मरीजों को भर्ती किया जा सकेगा। मरीजों की संख्या बढ़ने पर बिस्तर संख्या बढ़ाई जा सकेगी। वहीं डीन के निर्देश पर अलग-अलग विधा के सात चिकित्सा विशेषज्ञों की कमेटी गठित की गई है। ब्लैक फंगस के मरीजों के उपचार व ऑपरेशन की जिम्मेदारी कमेटी को सौंपी गई है।
इधर, इस व्यवस्था के बीच ब्लैक फंगस के उपचार व ऑपरेशन में उपयोगी दवाओं की कमी बनी हुई है। मेडिकल प्रशासन ने दवाओं की उपलब्धता के लिए सरकार का दरवाजा खटखटाया है। ब्लैक फंगस कितना खतरनाक है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि फंगस से संक्रमित अंग को ऑपरेशन से निकालना पड़ सकता है। मेडिकल व कुछ निजी अस्पतालों में ऐसे ऑपरेशन किए जा चुके हैं जहां ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीज की आंख, जबड़ा, नाक की हड्डी काटकर निकालनी पड़ी।
मेडिकल पहुंचे 15 मरीज, तीन की मौत: ब्लैक फंगस से पीडि़त 15 मरीज कुछ दिन के भीतर मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंच चुके हैं। डीन डॉ. कसार ने बताया कि इनमें तीन मरीजों की मौत हो चुकी है। चार मरीजों के ऑपरेशन किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस के समग्र उपचार की व्यवस्था मेडिकल में की गई है। शासन से जल्द ही आवश्यक दवाओं की आपूर्ति कर दी जाएगी।
ऑक्सीजन मास्क व नेबुलाइजर बदलने पर जोर: मेडिकल में भर्ती कोरोना संक्रमित मरीजों को ब्लैक फंगस से बचाने के लिए ऑक्सीजन मास्क व नेबुलाइजर बदलने पर जोर दिया जा रहा है। दरअसल, ब्लैक फंगस मरीजों की केस हिस्ट्री में यह जानकारी सामने आई है कि कोरोना के उपचार के लिए वे जिन निजी अस्पतालों में भर्ती रहे वहां ऑक्सीजन मास्क को समय पर नहीं बदला गया था। इधर, स्वास्थ्य विभाग ऐसे अस्पतालों को चिन्हित करने की कोशिश में जुट गया है जहां से कोरोना उपचार के बाद मरीज ब्लैक फंगस की चपेट में आए।
बाजार में दवाओं की कमी, कालाबाजारी की आशंका: एम्फोटेरेसिन इंजेक्शन, पोसकोनाजोल टैबलेट, सिवुकोनाजोल टैबलेट समेत कुछ अन्य दवाओं की बाजार में कमी आ गई है। जिससे दवाओं की कालाबाजारी की आशंका जाहिर की जा रही है। शासकीय व निजी अस्पतालों में भर्ती ब्लैक फंगस संक्रमित मरीजों के स्वजन इन दवाओं के लिए भटकते देखे जा रहे हैं। दवा कारोबारियों का कहना है कि ब्लैक फंगस दुर्लभ बीमारी होने के कारण दवा भी कम मात्रा में स्टॉक की जाती रही। इन दिनों अचानक ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ गई जिसकी वजह से दवाओं की कमी हो गई है।
शुगर पर नियंत्रण आवश्यक: मेडिकल कॉलेज ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. कविता सचदेवा का कहना है कि कोरोना संक्रमित मरीज अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद सेहत के प्रति लापरवाही न बरतें। मरीज अस्पताल में भर्ती रहें अथवा छुट्टी मिलने के बाद घर पहुंच गए, सभी को ब्लड शुगर पर नियंत्रण रखना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है। इस दशा में यदि शुगर पर नियंत्रण न रखा गया तो ब्लैक फंगस तेजी से हमला कर सकता है। रक्त में शुगर की मात्रा 150-200 तक है तो घबड़ाने की बात नहीं परंतु इससे ज्यादा मात्रा ब्लैक फंगस के हमले का कारण बन सकती है। उन्होंने कहा कि कोरोना मरीजों के उपचार के दौरान ऑक्सीजन मास्क, नेबुलाइजर तथा वार्ड को संक्रमणमुक्त रखा जाना आवश्यक है।