कोरोना ने रोकी जूट बारदान की राह, गेहूं की सरकारी खरीदी पर संकट

इंदौर।

बंगाल के विधानसभा चुनाव और कोरोना ने मध्य प्रदेश में जूट बारदान की आपूर्ति की राह भी रोक दी। मध्य प्रदेश को जरूरत के बारदान की आपूर्ति अप्रैल में ही हो जानी थी, लेकिन कोलकाता में जूट बारदान के कारखानों में पहले चुनाव के कारण और अब कोरोना संक्रमण के कारण उत्पादन ठप-सा हो गया है। बारदान की कमी से प्रदेश के कुछ जिलों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की सरकारी खरीदी के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है। बताया जाता है कि मध्य प्रदेश ने कोलकाता में जूट कमिश्नर को 2.41 लाख गठान जूट बारदान की मांग भेजी थी। इसमें से अब तक 1.32 लाख गठान बारदान ही मिल पाया है। बचा हुआ 1.10 लाख गठान बारदान मिलने में देरी हो रही है।

बारदान की कमी से निपटने के लिए प्रदेश के गेहूं खरीदी केंद्रों पर एक बार उपयोग किए हुए जूट के पुराने बारदान भेजे गए, लेकिन इन्हें सीने में मशीन खराब हो रही है। इस कारण कई केंद्रों पर पुराने बारदानों को काम में नहीं लिया जा रहा है।
बारदान की अधिक कमी

इंदौर, खंडवा, खरगोन, देवास, आगर, शाजापुर, रायसेन, सीहोर, होशंगाबाद जिलों में सामने आ रही है। हालात देखते हुए मध्य प्रदेश नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों ने खरगोन और खंडवा जिले के लिए मंदसौर से बारदान बुलवाकर भेजे हैं। नीमच से भी कुछ बारदान बुलाए गए। दरअसल, मंदसौर और नीमच में गेहूं का उत्पादन और खरीदी कम होने से यहां जूट के बारदान बच गए थे। इंदौर और उज्जैन संभाग में गेहूं खरीदी की अंतिम तारीख 15 मई तो अन्य संभागों में 25 मई अंतिम तारीख रखी गई है।

जूट कारखानों में बीमार हो रहे श्रमिक, उत्पादन प्रभावित

दरअसल, बंगाल में पटसन की खेती अधिक होती है। इसीलिए कोलकाता जूट बारदान निर्माण का बड़ा केंद्र है। यहां से मध्य प्रदेश के अलावा पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश सहित अन्य गेहूं उत्पादक राज्यों में जूट के बारदान भेजे जाते हैं। बारदान के कारखानों में बंगाल के अलावा बिहार, झारखंड, ओडिशा के कामगार काम करते हैं। बंगाल में अप्रैल में विधानसभा चुनाव होने से सारी सरकारी मशीनरी चुनाव में लगी रही।

इस कारण विभिन्न राज्यों को की जाने वाली जूट बारदान की आपूर्ति पर कोई ध्यान नहीं दे पाया। दूसरी तरफ कोरोना संक्रमण के कारण श्रमिक बीमार हैं। इस कारण कारखानों में पूरी क्षमता से काम नहीं हो पा रहा है। जूट उद्योग को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने सभी राज्यों के लिए नियम बनाया है कि गेहूं उपार्जन में 70 फीसद जूट बैग उपयोग करना है और केवल 30 फीसद ही पीपीई प्लास्टिक बैग उपयोग किए जा सकते हैं।

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