अहमदाबाद |
गुजरात के सूरत में कोरोना से स्वस्थ होकर निकले मरीजों को म्यूकोर मायकोसिस यानी काली फफूंद नामक बीमारी के कोप का सामना करना पड़ रहा है। अब तक इससे पीड़ित सौ से अधिक मरीज सामने आ चुके हैं, जिनमें से 10 की मौत भी हो चुकी है। यह एक प्रकार का फंगस रोग है जो नाक और आंख से होता हुआ दिमाग तक पहुंच जाता है। कोरोना की पहली लहर में म्यूकोर मायकोसिस के केस नहीं देखे गए, लेकिन अब दूसरी लहर के साथ सूरत में इसके मामले भी सामने आ रहे हैं।
सूरत में इस बीमारी से अब तक 10 मरीजों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है। किरण अस्पताल में नाक, कान और गला रोग के सर्जन डॉ. भाविन पटेल का कहना है कि कोरोना के उपचार के बाद मधुमेह से पीड़ित रोगियों में म्यूकोर मायकोसिस की शिकायत मिल रही है।
यह एक प्रकार की फफूंद जनित संक्रमण है जो काफी तेजी से फैलता है। दो सप्ताह में इसके काफी केस सामने आए हैं। यह काफी खतरनाक है, नाक व साइनस से शुरू होकर आंख व दिमाग तक चला जाता है। नाक व इसके आसपास दर्द हो, नाक बहने लगे अथवा खून का रिसाव हो तो इसकी तुरंत जांच करानी चाहिए।
इसका संक्रमण होने पर आंख में धीरे धीरे गंदगी जमने लगती है। इससे बचने के लिए मास्क पहनें, नाक व आंख में अंगूली नहीं करें। गर्म पानी पीते रहें तथा आंख व नाक को स्वच्छ रखें। उनके के मुताबिक सिर में असहनीय दर्द, आंख लाल होने, आंख में तेज दर्द, आंख से पानी गिरने, खून आने इत्यादि पर तुरंत उपचार जरूरी है।
स्टेरॉयड के इस्तेमाल से बढ़ रहे मामले
किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. संकेत शाह का कहना है कि हाल ही में कोरोना से स्वस्थ हुए मरीजों में म्यूकोर मायकोसिस रोग के केस बढ़ रहे हैं। यह मधुमेह के अनियंत्रित होने तथा कोरोना के उपचार के दौरान स्टेरॉयड देने की वजह से हो रहा है। होम आइसोलेशन में लोग खुद भी स्टेरॉयड लेते हैं, कई बार शुगर लेवल बढ़ जाता है जिससे म्यूकोर मायकोसिस की संभावना भी बढ़ जाती है।
स्वच्छता का रखें ध्यान
डॉ. शाह ने कहा कि नाक, आंख और मुंह को साफ रखना चाहिए। इसके साथ ही प्रारंभिक लक्षणों में ही इसका उपचार कराया जाए तो आंख व मरीज की जान बचाई जा सकती है। गुजरात में इस बीमार के चार सौ से अधिक केस सामने आए हैं, अहमदाबाद में करीब डेढ सौ तथा वडोदरा व राजकोट में भी दो सौ से अधिक केस सामने आए है।
डॉक्टर जिगर व डॉ उत्सव का कहना है कि अहमदाबाद, सूरत, राजकोट व वडोदरा में बड़े पैमाने पर म्यूकोर मायकोसिस के मामले सामने आए हैं। राजकोट में इस रोग से पीड़ितों का अलग वार्ड बनाया गया है। चिकित्सकों का कहना है कि इस रोग के प्राथमिक लक्षणों को लेकर उपेक्षा भारी पड़ रही है। बड़ी संख्या में लोगों की आंख को निकालकर उनकी जान बचाई गई है।