डॉक्टरों के संगठन ने कहा- जब तक कलेक्टर मनीष सिंह को इंदौर से हटाया नहीं जाएगा तब तक हम काम नहीं करेंगे

इंदौर प्रदेश स्वास्थ्य

इंदौर। कोरोना महामारी के चलते अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, दवा सहित अन्य संसाधनों की भारी कमी है। मरीजों की इलाज के अभाव में जान जा रही हैं। वहीं इस सब के बीच सरकारी अफसरों व डॉक्टरों के मध्य विवाद भी गहराता जा रहा है। गुरुवार को डॉक्टरों के संगठन ने कहा कि जब तक कलेक्टर मनीषसिंह को इंदौर से हटाया नहीं जाएगा तब तक हम काम नहीं करेंगे। डॉक्टरों के प्रतिनिधि मंडल ने गुरुवार को संभागायुक्त को मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन भी सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है कि 7 मई की सुबह 8 बजे से लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सभी अधिकारी व कर्मचारी काम करने में असमर्थ रहेंगे। और यह अधिकारी व कर्मचारी तब तक काम नहीं करेंगे जब तक इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह को हटाया नहीं जाता। स्वास्थ्य विभाग के संगठनों द्वारा इस संबंध में आगे की रणनीति तैयार की जा रही है। वहीं दूसरी ओर एमजीएम में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल शुरू हो गई है। संविदाकर्मी हड़ताल की चेतावनी दे रहे हैं। शासन-प्रशासन से मेडिकल कर्मियों की इस जंग में सीधा खामियाजा जनता को भुगतना होगा।

अभद्र व्यवहार सहन नहीं, सामूहिक इस्तीफे की योजना

स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा जिला प्रशासन के अफसरों द्वारा किए जा रहे व्यवहार का विरोध किया जा रहा है। डॉक्टर गडरिया के समर्थन में विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने भी मोर्चा खोल दिया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारी संगठनों ने सभी चिकित्सक अधिकारी नियमित, संविदा तृतीय श्रेणी, चतुर्थ श्रेणी, सभी कोरोनो सैंपलिंग, आरआरटी, होम आइसोलेशन, सीसीसी  टीम एवं सभी फिल्ड कर्मचारियों से संघर्ष करने के लिए तैयार रहने का आग्रह किया गया है। संगठनों का कहना है कि मांगे न मानी जाने पर सामुहिक इस्तीफा दिया जाएगा लेकिन अत्याचार व अभद्र व्यवहार सहन नहीं किया जाएगा। 

मांगे नहीं मानी तो शनिवार से जूडा नहीं करेंगे काम

अपनी लंबित मांगे पूरी नहीं होने पर गुरुवार सुबह जूनियर डॉक्टरों ने एमवाचएच की इमरजेंसी, ओपीडी व आईपीडी सेवाएं बंद कर मेडिकल कॉलेज में विरोध प्रदर्शन किया। मांगों पर 24 घंटे में अमल नहीं होने पर शनिवार से इमरजेंसी और कोविड-19 ड्यूटी करने से भी इंकार कर दिया गया है। जूडा अध्यक्ष डॉ. प्रखर चौधरी ने कहा, सरकार द्वारा हमारी कोई चिंता नहीं किए जाने से जूनियर डॉक्टरों में असंतोष का माहौल है। एक साल से ज्यादा वक्त से जान जोखिम में डालकर कोविड सेवाएं देने के बावजूद ना तो उचित वेतन मिल रहा है, यहां तक की इलाज और सुरक्षा की भी कोई व्यवस्था नहीं है। वहीं अन्य राज्यों की सरकारें जूनियर डॉक्टरों का वेतन और सुविधाएं बढ़ा रही हैं।

दो डॉक्टरों ने दिया था इस्तीफा

प्रशासन के अधिकारियों द्वारा अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए बुधवार को स्वास्थ्य विभाग के दो डॉक्टरों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देने वालों में जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर पूर्णिमा गडरिया और मानपुर के मेडिकल ऑफिसर (सीएमओ) डॉ. आरएस तोमर शामिल है। डॉ. गडरिया ने कलेक्टर मनीष सिंह और डॉ. तोमर ने एसडीएम अभीलाष मिश्रा द्वारा प्रताड़ित किए जाने की बात को लेकर यह कदम उठाया है।

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