भोपाल । कोरोना के मरीजों की संख्या में हुई तेजी से बढ़ोतरी के कारण एक तरफ जहां बिस्तरों का संकट बढ़ गया है। वहीं रेमेडेसिवर की अचानक बढ़ी मांग ने परेशानी बढ़ा दी है। प्रशासन की ओर से शुक्रवार को रेमेडेसिवर इंजेक्शन की बिक्री के लिए शहर की छह दवा दुकानों को तय कर दिया। यहां औषधि निरीक्षकों (ड्रग इंस्पेक्टर) के साथ तीन-तीन वनरक्षकों को सुरक्षा में तैनात करने आदेश एडीएम की ओर से शुक्रवार को जारी हुआ। लेकिन जिन दुकानों को अधिकृत किया उनमें से किसी भी दुकान पर रेमेडेसिवर का स्टॉक ही नहीं है। ऐसे में दवा दुकानों के बजाय ब्लैक में ऊंचे दामों पर ये इंजेक्शन बेचे जा रहे हैं। करोंद निवासी पुनीत श्रीवास्तव ने बताया कि साढ़े आठ सौ एमआरपी वाले एक इंजेक्शन का एक डोज उन्हें 15 हजार रुपए में मिला।
जिनको सुरक्षा में लगाया वे खनिज में पदस्थ
भोपाल एडीएम की ओर से दिशा फार्मा, जेएमडी फार्मा, पटेल एंड कंपनी, फार्मा टे्रडर्स, एसके कंपनी, स्वास्तिक मेडिकल एजेंसी को रेमेडेसिवर कोरोना मरीजों को मुहैया कराने के लिए अधिकृत किया। यहां ड्रग इंस्पेक्टर धर्मेश विगोनियां, मनीषा गुर्जर, अनामिका सिंह और तबस्सुम के साथ तीन-तीन वनरक्षकों की ड्यूटी लगा दी। लेकिन इस आदेश में जिन वनरक्षकों को सुरक्षा में लगाया गया। उनमें से अधिकतर खनिज विभाग में सेवाएं दे रहे हैं।
विशेषज्ञों की सलाह
गांधी मेडिकल कॉलेज के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. लोकेन्द्र दवे का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से लोग बिना डॉक्टर की सलाह के ही रेमेडेसिवर इंजेक्शन खरीद रहे हैं। जबकि रेमेडेसिवर के लिए ये देखना जरूरी होता है कि सीटी स्कैन में लंग्स में संक्रमण 30 से 40 फीसदी से ज्यादा हो ऑक्सीजन सेच्युरेशन अचानक कम हो रहा हो। लगातार तीन दिन से ज्यादा तेज बुखार हो। ऐसी परिस्थितियों में बिना डॉक्टर की सलाह के रेमेडेसिवर दिया जाना चाहिए। ये आम ट्रीटमेंट में एक प्रकार की नई दवा है इसके दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।
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