पुल निर्माण से डरे नक्सलियों ने दर्जनभर गांवों से छीने लोगों के मोबाइल फोन

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जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के पामेड़ गांव में चिंतावागू नदी पर पुल बनाकर फोर्स नक्सलियों के सबसे सुरक्षित गढ़ में कदम रखने की तैयारी कर रही है। इससे घबराकर नक्सली उस इलाके में लोगों के मोबाइल फोन छीन रहे हैं। नक्सली इस बात से भयभीत हैं कि अगर लोगों के पास मोबाइल रहा तो वे उनकी सूचना आसानी से फोर्स को दे सकते हैं।

पामेड़ तेलंगाना की सीमा से सटा हुआ है। नदी-नालों से घिरे करीब सौ किलोमीटर के दायरे में फैले इस दुर्गम जंगल में नक्सलियों की बटालियन नंबर वन सक्रिय है। प्रदेश की बड़ी नक्सली घटनाएं इसी इलाके में होती रही हैं। खुफिया विभाग के सूत्रों की मानें तो नदी के उस पार के धरमावरम समेत करीब दर्जनभर गांवों से नक्सलियों ने लगभग दो हजार मोबाइल फोन छीन लिए हैं। हालांकि बीजापुर एसपी कमलोचन कश्यप का कहना है कि नक्सली लोगों के मोबाइल छीनते और वापस करते रहते हैं। इसलिए यह कोई बड़ी बात नहीं है। जैसे-जैसे फोर्स आगे बढ़ेगी, लोगों का विश्वास बढ़ेगा।

पामेड़ तक सीधा रास्ता नहीं है। दक्षिण में 50 किमी दूर बासागुड़ा तक सड़क पर सरकार की पकड़ है, लेकिन इसके आगे तेलंगाना तक करीब 50 किमी इलाके में फैले दुर्गम जंगल में पहुंच मार्ग नहीं है। पामेड़ में थाना है, जहां जाने के लिए दंतेवाड़ा, सुकमा व तेलंगाना होकर 300 किमी का सफर करना पड़ता था। अब भोपालपटनम की ओर से तेलंगाना के चेरला और उसके बाद जंगल के भीतर पामेड़ तक 15 किमी सड़क बन जाने से यह दूरी आधी रह गई है। पामेड़ में पुल बना तो जिले के भीतर से इस गांव तक पहुंचा जा सकेगा।

नदी तट पर बना मोर्चा

पामेड़ से चार किमी उत्तर की ओर चिंतावागू नदी के तट पर फोर्स का मोर्चा है। नदी में मोटरबोट से गश्त की जा रही है। तट पर सीआरपीएफ ने स्थाई कैंप बनाया है। दूसरी ओर से नक्सली अब भी गाहे-बगाहे गोलीबारी करते रहते हैं। एसपी कमलोचन कश्यप खुद मोर्चा संभाल रहे हैं। यहां स्पेशल डीजी अशोक जुनेजा समेत पुलिस के आला अधिकारी लगातार दौरा कर रहे हैं।

तेलंगाना के नक्सलियों का ठिकाना

तेलंगाना के बड़े नक्सली नेताओं का यही ठिकाना है। सेंट्रल कमेटी के सदस्य पुलेरी प्रसाद उर्फ चंद्रन्ना, हरिभूषण, दामोदर, आजाद, कट्टम सुदर्शन, के रामचंद्र रेड्डी आदि तेलंगाना से आकर यहीं पनाह लेते हैं। एसपी कश्यप कहते हैं कि पुल बनेगा तो विकास पहुंचेगा। इससे लोगों को मुख्यधारा में आने में मदद मिलेगी। इसी बात से नक्सली घबराए हुए हैं।

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