उज्जैन। 11 साल की पुत्री के साथ छह माह तक दुष्कर्म करने वाले पिता को बुधवार को कोर्ट ने शेष जीवन तक जेल में रहने की सजा सुनाई है। कोर्ट ने टिप्पणी में मनुस्मृति के श्लोक का उल्लेख किया है, जिसका अर्थ है कि जो भी अपराध करे, उसे दंड जरूर मिलना चाहिए। उप संचालक अभियोजन डा. साकेत व्यास ने बताया कि 2019 के अप्रैल महीने में थाने में बालिका ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसके पिता ने छह माह में कई बार उससे दुष्कर्म किया और धमकी दी थी कि अगर किसी को यह बात बताई तो वह उसे जान से मार देगा। बालिका ने मां को बताया तो बात पुलिस तक पहुंची। इस मामले में बुधवार को कोर्ट ने पिता को दोषी पाते हुए मरते दम तक जेल में रहने की सजा सुनाई है।
पिता ने ‘सहानुभूति’ का किया था निवेदन
दोषी पिता ने कोर्ट से निवेदन किया था कि उसकी उम्र व पहले अपराध को देखते हुए सजा पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाए। इस पर कोर्ट ने टिप्पणी की है कि मनुष्य ने जब समाज के अस्तित्व व महत्व को मान्यता दी, तब उसके कर्तव्यों व अधिकारों की व्याख्या निर्धारित करने और नियमों के अतिक्रमण करने पर दंड व्यवस्था करने की आवश्यकता उत्पन्न हुई। यही कारण है कि विभिन्न युगों में विभिन्न स्मृतियों की रचना हुई, जिनमें मनुस्मृति को विशेष महत्व प्राप्त है। एक श्लोक में कहा गया है कि जो भी अपराध करे वह अवश्य दंडनीय है , चाहे वह पिता, माता, गुर, पत्नी, मित्र या पुरोहित ही क्यों न हो।