मेघालय में पूर्वी जयंतिया जिले के कोयला खदान में फंसे मजदूरों में से पहले मजदूर की लाश बरामद हुई है. एक महीने से चल रहे बचाव अभियान के दौरान पहली लाश बरामद हुई है. हालांकि कुछ दिनों पहले बचावकर्मियों ने खदान से बदबू आने की शिकायत की थी. उसी दौरान यह कयास लगाया जा रहा था कि मजदूरों का बचना मुश्किल है. बचावकर्मियों को पहली लाश 200 मीटर नीचे मिली. अभी भी 14 और मजदूरों को खोजा जाना बाकी है.
प्रशासनिक लापरवाही पर उठे थे सवाल
इससे पहले एनडीआरएफ ने बचाव कार्य के लिए जिला प्रशासन से 100 हॉर्स पावर के पंप की मांग की थी. ये मांग राज्य सरकार के पास भेजा गया था. लेकिन इस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया. विवाद बढ़ने पर रेस्क्यू ऑपरेशन पर फोकस बढ़ा.मेघालय के ईस्ट जयंतिया जिले के एक कोयला खदान में 13 दिसंबर से 15 मजदूर फंसे हुए थे . खदान में जिस वक्त मजदूर घुसे थे उसी वक्त इसमें नजदीकी लितिन नदी का पानी घुस आया था. बचावकर्मी अब तक खदान में घुसे पानी को नहीं निकाल पाए थे. पानी निकालने के लिए 25 हॉर्सपावर को दो पंप लगाए गए हैं, लेकिन वे नाकाफी साबित हो रहे थे.
पिछले दिनों के बचाव अभियान के दौरान सिर्फ तीन हेलमेट मिले थे. रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी कर रहे अधिकारियों का कहना था कि खदान में फंसे मजदूरों के बारे में उन्हें अब तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई. बचावर्मियों ने एक महीने पहले चले आ रहे है.
मेघालय में पिछले 15 दिनों से कोयला खदान में फंसे मजदूरों के बचे होने की उम्मीद खत्म होती नजर आ रही थी. मजदूरों को बचाने उतरे एनडीआरएफ के गोताखोरों का कहना है कि खान से बदबू आ रही था. समझा जा रहा था कि यह लाशों की बदबू थी. बहरहा, एक लाश मिलने के बाद मजदूरों के बचने की आशंका और धूमिल होती जा रही है.