उपचुनाव में होने वाले खर्च को चुनाव आयोग नहीं उठाए,उक्त नेता से ही वसूला जाना चाहिए:आम आदमी पार्टी

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इंदौर :लोकतंत्र में जनता की भूमिका पर खरे उतरने के बाद जनता के साथ अपने स्वार्थ के चलते धोखा देकर पद त्यागकर दल बदल करने की राजनीति से उपचुनाव की स्थिति बनने से दो बार खर्च का बोझ पड़ेगा। चुनाव में होने वाले खर्च के आयोग को उठाना पड़ता है, जिसका बोझ जनता पर ही आता है। आम आदमी पार्टी ने इस तरह के अवसरवादी नेताओं को लेकर आयोग से मांग की है कि उप चुनाव दल बदल या किसी नेता के निजी स्वार्थ के कारण होते हैं तो उसका खर्च आयोग नहीं उठाए। यह खर्च उक्त नेता से ही वसूला जाना चाहिए। पार्टी के किसान नेता निर्मल चौहान ने बताया कि यह चुनाव जनता के लिए नहीं बल्कि दलबदलू अवसरवादी नेताओं के दल बदल की वजह से विधायक पद त्यागने की वजह से हो रहे हैं। उन्होंने सांवेर एसडीएम आरएस मंडलोई को ज्ञापन सौंपते हुए क्षेत्र के पूर्व विधायक तुलसीराम सिलावट से खर्च की पूरी राशि वसूलने की मांग रखी। आप पार्टी के नेताओं का कहना है कि जनता ने अपने प्रतिनिधि के रूप में पांच वर्ष का जनादेश देकर विधानसभा में भेजा था। नेताओं ने इस जनादेश का अपमान कर राजनीतिक अवसरवादिता का एक अभूतपूर्व उदाहरण पेश किया। यह उपचुनाव जनता की इच्छा पर नहीं, बल्कि सिलावट और अन्य मतलबपरस्त नेताओं के राजनीतिक और स्वार्थी अवसरवादिता के चलते हो रहा है। आयोग उपचुनाव में होने वाला संपूर्ण खर्च इन नेताओं से ही वसूले, ताकि भविष्य में जनता को ठगने वाले ऐसे नेता,सांसद, विधायक अपने स्वार्थ की वजह से दल बदल करने से पहले कई बार सोचें। इस प्रकार की कार्यवाही एक स्वस्थ लोकतंत्र की स्थापना में मददगार होगी और नेताओं की जनता के प्रति जवाबदारी भी बढ़ाएगी। उललेखनीय है कि मुख्य चुनाव के बाद जनप्रतिनिधि की मृत्यु हो जाने या पद समाप्त होने पर उपचुनाव होते हैं। कई बार नेता त्याग पत्र देकर अन्य नेता को वहां से जिताकर पद दिलाने के लिए अपना पद त्याग कर उपचुनाव करवाने को मजबूर कर देते हैं। वर्तमान विधानसभा में इस तरह के चुनाव एक साथ 27 क्षेत्रों में होना तय है। इस चुनाव पर खर्च मुख्य चुनाव की तरह ही होगा और पूरे मामले को नए सिरे से जुटकर मेहनत करना होगा। इस उपचुनाव में धन के साथ ही मानवीय और भौतिक संसाधन पर भी खर्च होना है। इससे आयोग पर बजट का खर्च बढ़ जाता है। यह खर्च नेताओं से वसूला जाने लगा तो देश में उप चुनावों की परिस्थिति ही नहीं बन पाएगी।

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