रामचरितमानस से अमर हो गए राममय तुलसीदास

Uncategorized धर्म-कर्म-आस्था

कवि तुलसीदास जी ने अपने लोकप्रिय कृति ‘रामचरितमानस’ में श्रीराम के रूप में हमें एक ऐसा दर्पण दिया है, जिसे सम्मुख रखकर हम अपने गुणों-अवगुणों का मूल्यांकन कर सकते हैं। अपनी मर्यादा, करुणा, दया, शौर्य, साहस और त्याग को आंककर एक बेहतर इंसान बनने की ओर प्रवृत्त हो सकते हैं। संत-कवि तुलसीदास का संपूर्ण जीवन राममय रहा। वे सार्वभौम या जन-जन के कवि थे। क्योंकि उन्होंने अपने महाकाव्य ‘रामचरित मानस’ के जरिये श्रीराम को जन-जन के राम बना दिया। उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम का स्वरूप दिया, जिनकी मर्यादा, करुणा, दया, शौर्य और साहस जैसे सद्गुण एक मिसाल हैं।

तुलसीदास की रचनाएं
‘श्रीरामचरितमानस’ की लोकप्रियता का ही प्रभाव था कि अन्य भाषा बोलने वालों ने केवल मानस पढ़ने के लिए ही हिंदी भाषा सीखी। संत कवि तुलसीदास ने मात्र ‘श्रीरामचरित मानस’ ही नहीं लिखा, बल्कि ‘दोहावली’, ‘गीतावली’, ‘विनयपत्रिका’, ‘कवित्त रामायण’, ‘बरवै रामायण’, ‘जानकीमंगल’, ‘रामललानहछू’, ‘हनुमान बाहुक’, ‘वैराग्य संदीपनी’ जैसी भक्ति व अध्यात्म की कृतियां लिखीं।


श्रावण शुक्ला सप्तमी को जन्मे तुलसीदास
गोस्वामी तुलसीदास श्रीसंप्रदाय के आचार्य रामानंद की शिष्य-परंपरा में दीक्षित थे। बहुसंख्य लोगों की मान्यता के अनुसार, उन्होंने उत्तर प्रदेश के बांदा जनपद के राजापुर में मां हुलसी के गर्भ से विक्रम संवत 1554 की श्रावण शुक्ला सप्तमी के दिन मूल नक्षत्र में जन्म लिया था।

तुलसीदास के जन्म से जुड़ी दो बातें
तुलसी के बारे में अनेक किंवदंतियां भी प्रचलित हैं कि जन्म लेने पर तुलसी रोए नहीं, बल्कि उन्होंने ‘राम’ का उच्चारण किया। उनके मुख में बत्तीस दांत मौजूद थे इत्यादि।


रामचरित मानस की रचना
तुलसी दास जी ने जब रामचरित मानस की रचना की, उस समय संस्कृत भाषा का प्रभाव था, इसलिए आंचलिक भाषा में होने के कारण ‘श्रीरामचरितमानस’ को शुरू में मान्यता नहीं मिली, जबकि वह जन-जन में खूब लोकप्रिय हुआ। तुलसीदास ने अपने कृतित्व में सभी संप्रदायों के प्रति समन्वयकारी दृष्टिकोण अपनाकर हिंदू समाज को एकता के सूत्र में बांधने का कार्य किया।

श्रावण कृष्ण तृतीया को शरीर त्यागा
विक्रम संवत् 1680 को श्रावण कृष्ण तृतीया के दिन उन्होंने शरीर त्याग दिया, किंतु उन्होंने श्रीराम के रूप में आदर्शों का एक दर्पण दिया है, उसमें हर कोई अपना स्वरूप देखकर वैसा बनने का प्रयास कर सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *