छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के एक किसान की बेटी रश्मि को एडमिनिस्ट्रेटर बनने का सपना उनके पिता ने दिखाया। रश्मि बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छी थीं।
बिलासपुर के लक्ष्मीचंद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से 2015 में इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद राज्य सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी।
पहली ही कोशिश में उन्हें सफलताएं भी मिल गईं। उनका चयन फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर के तौर पर हो गया। इसके अलावा राज्य सिविल सेवा परीक्षा में उन्होंने 34 वीं रैंक हासिल की और बन गईं DSP। लेकिन बेटी को प्रेरणा देने वाले पिता बीच में ही छोड़ गए, पर बेटी पढ़ी और छत्तीसगढ़ राज्य सिविल सेवा परीक्षा में लड़कियों में अव्वल रहीं। रश्मि ठाकुर ने संघर्ष करके सफलता हासिल की है।
छत्तीसगढ़ की राज्य सिविल सेवा परीक्षा में लड़कियों में अव्वल रहीं रश्मि ठाकुर की सफलता कइयों के लिए प्रेरणा हो सकती है। खुद रश्मि जिनसे प्रेरणा लेतीं थीं उसे उन्होंने परीक्षा से महज कुछ हफ्ते पहले खो दिया।
रश्मि की तमन्ना थी कि वह इतनी अच्छी रैंक हासिल करें कि उन्हें डिप्टी कलेक्टर का पद मिल जाए। रश्मि ने राज्य सिविल सेवा परीक्षा के लिए अपनी तैयारी का सिलसिला जारी रखा। बेटी ने मेहनत के दम पर पिता का सपना पूरा कर दिखाया।
बेटी के डिप्टी कलेक्टर बनाने के सपने को साकार होते देखने के लिए शायद उनके पास वक्त नहीं बचा था। रश्मि के पिता को ब्ल’ड कैंसर था। अपनी बेटी को कलेक्टर बनता देखते इससे पहले पिता की आंखें हमेशा के लिए बंद हो गई।