सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में राफेल दस्तावेजों को लेकर विशेषाधिकार का दावा किया। सरकार ने कहा है कि राफेल से जुड़े दस्तावेज संबंधित विभाग की अनुमति के बिना कोर्ट में पेश नहीं किए जा सकते। सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि एविडेंस एक्ट का सेक्शन 123 और आरटीआई एक्ट इस बात की पुष्टि करते हैं। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और केएम जोसफ की पीठ ने इस मामले पर फैसला सुरक्षित रखा है।
दूसरे देशों से संबंधों पर पड़ेगा असर
बुधवार को रक्षा सचिव द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया, ”जिन लोगों ने केंद्र की इजाजत के बगैर इन संवेदनशील दस्तावेजों की फोटोकॉपी हासिल की है, वह चोरी की श्रेणी में आती है। राफेल दस्तावेज की अनधिकृत फोटोकॉपी से देश की संप्रभुता, सुरक्षा, विदेशी देशों से मैत्री संबंधों पर उल्टा असर पड़ेगा।”
देश के दुश्मनों को मिल सकती है जानकारी
केंद्र ने कहा कि याचिकाकर्ता यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी, प्रशांत भूषण संवेदनशील जानकारी लीक करने के दोषी हैं। याचिकाकर्ताओं ने याचिका के साथ जो दस्तावेज लगाए हैं वे काफी प्रसारित हुए हैं और अब वे देश के दुश्मन और विरोधियों के लिए भी मौजूद हैं।