जनता परेशान है न कोई कही जा सकता न कोई सामूहिक पूजा इबादत कर पाता न कोई सादी ब्याह रचा सकता न कोई दाह संस्कार में भाग ले सकता न कोई कथा भागवत कर सकता सबकुछ सीमित हो गया है सरकार डंडा के बल पर आजादी छीन रखी है आपातकाल से भी बद्तर हालत हो गई है आज जो लॉकडाउन की नौबत आई है गर इसके पहले चेत लेते तो सायद इसकी जरूरत नही थी मंशा तो रोग फैलाने की थी और फिर रोक लगाकर वाहवाही लूटने की वरना जब दिसंबर 2019 मे चीन में बीमारी का पता चला तो सरकार यदि चाहती तो बीमारी अपने देश में नही फैलती लेकिन ऐसा नही हुआ पहले तो विदेशों से आने वाले लोगों को घर भेज दिया फिर अब जाँच शुरु किया तब तक विदेशी जहा – जहा के थे वही – वही रोग फैल गया जबकि चाहिए यह था कि विदेशियों को एक सुरक्षित जगह मे रखना था पर ऐसा नही हुआ विदेश का आना जाना देश वासियों को महंगा पड़ा ये कोई नई बात नही है यह तो सदियों से चल रहा है अपने देश का संविधान विदेश में पढ़े हुए लोगों ने बनाया जिसमे दूसरे देशों की नकल ज्यादा है अपने देश की नकल कम ही है ये नेता पहले विदेशों में जाकर बाहवाही लूटे विदेशों में अपने देश वासियों की भीड़ इकट्ठा किए अपनी सुरक्षा मजबूत ही किए हुए हैं कोई छू नही सकता क्योंकि ये नेता है और यह पब्लिक है जनता है जनता और नेता मे अंतर तो होगा ही।