हर साल होली के अवसर पर शहर के लोगों को रंगों में मौजूद घातक केमिकल से बचने के लिए इंदौर में इन दिनों होली के प्राकृतिक रंगों को तैयार करने के लिए अनूठी पाठशाला चल रही है। इस पाठशाला में न केवल रंग तैयार हो रहे हैं, बल्कि एक दूसरे को आत्मीयता के रंग भी लगाए जा रहे हैं।
दरअसल पद्मश्री एवं समाज सेविका जनक पलटा की पहल पर बीते 8 सालों से होली के सप्ताह भर पहले से उनके घर पर चलने वाली इस अनूठी पाठशाला में विभिन्न शिक्षण संस्थानों कि छात्र-छात्राएं होली के प्राकृतिक रंग तैयार करने के लिए यहां पहुंच रही हैं। यही नहीं वे पहली बार फूलों में फलों से रंग तैयार करना भी सीख रही हैं। गौरतलब है केमिकल के बढ़ते उपयोग के चलते खुद कैंसर का शिकार हो चुकी समाज सेविका पद्मश्री जनक पलटा प्राकृतिक संसाधनों से कैंसर को हराने के बाद अब होली के रंगों में भी जीवन के रंग भर रही हैं। दरअसल उनकी कोशिश है कि होली के दौरान उपयोग किए जाने वाले घातक रसायनों से मिश्रित रंग ना केवल त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि यह अलग अलग तरीके से शरीर पर घातक प्रभाव छोड़ते हैं। ऐसे में यदि प्रकृति प्रदत्त संसाधनों से रंग तैयार कर लिए जाएं तो आम लोग रंगो के घातक प्रभाव से बच सकेंगे। यही वजह है कि पिछले 8 सालों से जनक पलटा अपने सनावड़िया ग्राम स्थित घर पर पलाश, चुकंदर, गुलाब के फूल, बोगनवेलिया, पोई, गेंदा, टिकोमा, गुड़हल, परिजात, मेहंदी और संतरे से गुलाल अबीर और प्राकृतिक रंग बनाना सिखाती हैं। लिहाजा जो लोग प्राकृतिक संसाधनों से यहां रंग बनते देखते हैं वह भी इन रंगों के रंग में रंग रहे हैं।