इंदौर जिला जेल को बने एक सदी से ज्यादा हो गया है, और इसका निर्माण ब्रिटिष सरकार ने कराया था। 180 साल बाद जिला जेल में अष्टकोण दफ्तर खाली पड़े बैरक में चल रहा था। जिसका कार्यालय बनने जा रहा है।
जेल के सबसे जरुरी दफ्तर में से एक अष्टकोण का अब तक निर्माण ही नहीं किया गया था। अब इतने वर्षों के बाद उसका निर्माण होना है। इसके लिए मुख्यालय से औपचारिक अनुमति भी मिल गई है, जल्द ही काम भी शुरू हो जाएगा। सन 1839 में जिला जेल का निर्माण किया गया था। अंग्रेजों द्वारा इसे कैदियों को रखने के लिए बनाया गया था। इसमें सभी जरुरी स्थान, यहां तक की खतरनाक बंदियों को रखने के लिए सेल तक बनाए गए थे, जहां पर सूरज की रोशनी भी नहीं पहुंच पाती थी। वहां पर अष्टकोण का दफ्तर नहीं बनाया गया था। इतने वर्षों से वह बिना अष्टकोण के चल रही थी। जेल अधीक्षक आदिति चर्तुवेदी ने बताया कि, नया अष्टकोण दफ्तर बनाया जा रहा है। जिला जेल में बीच में एक खाली स्थान है। वहां पर इसे बनाया जा रहा है। दफ्तर के साथ ही वॉच टॉवर भी बनाया जाएगा, जहां से पूरे जेल पर नजर रखी जा सकेगी। वहीं आने वाले समय में कंट्रोल रूम को भी यहां पर शिफ्ट कर दिया जाएगा। इसके बन जाने से अंदर एक स्थान पर बैठा व्यक्ति पूरे जेल पर नजर रख सकेगा। इसके लिए मुख्यालय से अनुमति मिल गई है। जल्द ही सारी औपचारिक्ताएं पूरी कर ली जाएगी, और निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। जेल अफसरों की माने तो अष्टकोण का दफ्तर महत्वपूर्ण स्थान रहता है। इसे ऐसा बनाया जाता है कि, दूसरी सभी सेक्टर के गेट यहां पर आकर खुलते है। कोई भी कैदी अगर अपने सेक्टर से बाहर आता है तो वहां पर मौजूद चक्कर अफसर या सिपाही की नजर में आ जाता है। वहां पर इंट्री होने के बाद ही उसे कहीं और जाने की इजाजत मिलती है। इस तरह हर सेक्टर पर नजर रहती है। जिला जेल में फिलहाल खाली पड़े बैरक में चल रही थी। एक कोने में होने के कारण सभी बैरकों पर एक ही स्थान पर नजर रखना मुश्किल होता था। अब नए निर्माण से सुरक्षा व्यवस्था और भी चाकचैबंद हो जाएगी।