भक्तों को बिना परेशानी के दर्शन करने के प्रशासन के दावे फेल

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महाशिवरात्रि के पर्व पर आज प्रशासन के लाख दावों के बाद भी श्रद्धालुओं को असुविधा का सामना करना पड़ा। 250 रू. के सशुल्क पास से 1 घंटे में दर्शन का दावा करने वाले प्रशासन के दावों की पोल खुल गई है। शिवरात्रि पर रात 12 बजे से ही बाबा महाकाल के दर्शन के कतार लगना शुरू हो गई थी। 250 रूपये के सशुल्क पास से 1 घंटा और सामान्य कतार में 2 घंटे में दर्शन करने के दावे खोखले साबित हुए।
विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि पर दर्शन हेतु आने वाले श्रद्धालुओं के जिला प्रशासन एवं मंदिर समिति ने बड़े-बड़े दावे किए थे, लेकिन दावों के बिल्कुल विपरीत आज शिवरात्रि पर्व पर मंदिर में श्रद्धालुओं को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा। देश ही नही अपितु विश्व भर से बाबा महाकाल के भक्त आज के दिन भस्मरमैया बाबा महाकाल के दर्शन के लिए उज्जैन महाकाल मंदिर पहुंचते है। आज मंदिर पहुंचे श्रद्धालुओं को कई किलोमीटर पैदल चलकर लंबी कतार में लगकर बाबा महाकाल के दर्शन करने का अवसर प्राप्त हुआ। 250 रूपये के सशुल्क पास से 1 घंटा और सामान्य कतार से 2 घंटे में दर्शन करवाने वाले प्रशासन के दावे खोखले साबित हुए।
सामान्य दर्शनार्थियों के दर्शन की लगी कतार हरसिद्धि से शुरू की गई थी जो छतरी चैक तक पहुंच गई। श्रद्धालुओं को 2 से 3 किलोमीटर तक पैदल कतार में लगने बाद भी मंदिर परिसर में अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ा। तड़के होने वाली भस्मारती में भी बहुत अवस्थाएं देखी गई। प्रशासन के लाख दावे करने के बाद भी गर्भगृह में जाकर भगवान महाकाल को जल चढ़ाया और पूजन-अभिषेक किया। जबकि प्रभारी मंत्री ने कहा था कि कोई भी आम या खास व्यक्ति गर्भगृह में जाकर दर्शन नहीं करेंगे। भस्मारती के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजवर्गीय भी झल्ला उठे थे। आज की भस्मारती में म.प्र. शासन के गृह एवं जेल मंत्री बाला बच्चन के अलावा भी कई वीवीआईपी ने भी गर्भगृह के अंदर से पूजन किया। मंदिर में प्रशासन ने इस तरह से इंतजाम किया था कि दर्शनार्थियों को दर्शन करने के लिए पहले तो लंबी लंबी लाइनों में लगना पड़ा लेकिन दर्षन करने के बाद वहां से निकलने के लिए लोगों को अपने स्थान पर जाने के लिए वापस 2 से 3 किलोमीटर तक पैदल घुमकर जाना पड़ा। इस दौरान छोटे छोटे बच्चे और वृद्ध सबसे ज्यादा परेषान दिखाई दिए। अगर किसी व्यक्ति ने महाकाल मंदिर के मुख्य द्वार के पास स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एटीएम के आसपास कहीं अपने कपड़े या जूते चप्पल उतार के रखे तो दर्षन करने के बाद वापस उनको 2 से 3 किलोमीटर का चक्कर काट कर वहां पर आना पड़ा। विगत 10 वर्षों से मुम्बई के जो भक्त यहां दर्शन के लिए आ रहे है उनसे भी न्यूज 29 इंडिया ने इस बार के अनुभव के बारे में पूछा तो उन्होंने भी स्वीकार किया कि इस बार की प्रषासन की व्यवस्था बेहद खराब रही। लोगों का कहना है कि प्रशासन की व्यवस्था इस बार सबसे लचर और बेकार रही।

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