
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को लगातार सातवीं बार आम बजट पेश किया। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत में ही कह दिया कि हमारा ध्यान गरीब, महिलाएं, युवा और अन्नदाता पर है। यानी वह चार जातियां, जिनका जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते आए हैं। बजट 2024-25 में इन चार जातियों के लिए खूब सारे प्रावधान हैं। नौकरियों की भी खूब बात की गई है। उद्योगों और स्टार्ट-अप्स के लिए बड़ी घोषणाएं की गई हैं। आइए इन सवालों से समझते हैं कि आपकी जिंदगी को यह बजट किस तरह प्रभावित करने वाला है?
क्या महंगाई बढ़ेगी?
सीधे-सीधे तो नहीं। बजट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिससे महंगाई दर बढ़ने या घटने का दावा किया जा सकता है। इस समय खाद्य पदार्थों की महंगाई दर जरूर बढ़ी हुई है लेकिन सामान्य मानसून के आसार दिख रहे हैं। इससे आने वाले समय में सरकार को खाद्य महंगाई दर को सीमित रखने में मदद मिलेगी।
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट कह रही है कि महंगाई दर लंबे समय तक उच्च स्तर पर कायम नहीं रहेगी। इसमें गिरावट आएगी।
क्या सस्ता और क्या महंगा होगा?
सरकार ने इनडायरेक्ट टैक्स दरों में कुछ बदलाव किए हैं, जिससे कैंसर की तीन दवाएं, एक्सरे ट्यूब, फ्लैट पैनल डिटेक्टर सस्ते होंगे। इसी तरह मोबाइल फोन पर कस्टम ड्यूटी 15 फीसदी घटी है तो वह सस्ते होंगे। सोना और चांदी भी कस्टम ड्यूटी छह प्रतिशत घटने से सस्ते होंगे। प्लेटिनम भी सस्ता होगा। हालांकि, सोलर सेल और सोलर पैनल के निर्माण को सस्ता बनाया है। साथ ही प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना शुरू की गई है। छतों पर सोलर पैनल लगाने से एक करोड़ परिवारों को हर महीने 300 यूनिट तक बिजली मुफ्त मिलेगी।
आयकर कम होगा या बढ़ेगा?
यदि आप नई स्कीम के तहत रिटर्न फाइल कर रहे हैं तो आपको 17,500 रुपये तक बचत हो सकती है। सरकार ने जो भी बदलाव किए हैं, वह नई स्कीम में किए हैं। वेतनभोगियों में स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50 से बढ़ाकर 75 हजार किया है। इसी तरह स्लैब में भी बदलाव किया है। तीन लाख रुपये तक कोई टैक्स नहीं लगेगा। तीन से सात लाख रुपये तक पांच प्रतिशत टैक्स लगेगा। सात से दस लाख रुपये तक दस प्रतिशत टैक्स लगेगा। 10 से 12 लाख रुपये तक 15 प्रतिशत टैक्स लगेगा। 12 से 15 लाख रुपये तक 20 प्रतिशत टैक्स लगेगा। 15 लाख रुपये से अधिक आय पर 30 प्रतिशत टैक्स देना होगा। इन बदलावों से अधिकतम 17,500 रुपये तक की बचत होगी।
इसका मतलब है कि पुरानी टैक्स स्कीम के तहत जो लोग रिटर्न फाइल कर रहे हैं, उनकी बचत पर कोई खास अंतर नहीं पड़ेगा। न तो होम लोन पर चुकाने वाले ब्याज पर कोई राहत दी गई है और न ही 80(सी) के तहत मिलने वाली 1.5 लाख रुपये की सीमा को बढ़ाया है। सीधी बात है कि सरकार चाहती है कि पुरानी स्कीम के बजाय लोग नई स्कीम को अपनाएं। पिछले साल सरकार ने नई स्कीम को डिफॉल्ट स्कीम बना दिया था। यानी आप यदि नई या पुरानी में से कोई स्कीम नहीं चुनते हैं तो आप खुद-ब-खुद नई स्कीम के टैक्सपेयर हो जाएंगे। सरकार ने अब नई और पुरानी व्यवस्था में टैक्स करीब-करीब बराबरी पर ला दिया है।
महत्वपूर्ण यह है कि 8.58 करोड़ रिटर्न फाइल होते हैं। इसमें से सिर्फ दो करोड़ ही टैक्स देते हैं। फाइल होने वाले 86 प्रतिशत रिटर्न में आमदनी 10 लाख रुपये से कम की है। इसका मतलब है कि 14 प्रतिशत लोग ही 10 लाख रुपये से अधिक की आय वाले हैं।
शेयर मार्केट तो धड़ाम हो गए, मेरी बचत का क्या होगा?
सरकार चाहती है कि आप पैसा बचाने के बजाय खर्च करने के विकल्प को चुनें। आयकर की नई स्कीम इसी मंत्र को आगे बढ़ाती है। आयकर में सेविंग के लिए जो राहत प्रदान की जाती है, उसमें कोई बदलाव नहीं किया है। यदि आप अपनी बचत को शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करते हैं तो वह भी आकर्षक नहीं रह गया है। सरकार ने शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के नियमों में बड़े बदलाव किए हैं। इसके अलावा हर लेन-देन पर लगने वाला एसटीटी भी बढ़ाया है। इसका ही नतीजा है कि बजट भाषण के दौरान शेयर बाजार धड़ाम से गिर गए।
अब कुछ संपत्तियों पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन 20 प्रतिशत तक लगेगा और अन्य वित्तीय व गैर-वित्तीय संपत्तियों पर आयकर के प्रावधानों के तहत टैक्स लगता रहेगा। कैपिटल गेन्स बचत की सीमा को 1.25 लाख रुपये प्रति वर्ष किया है। कुछ संपत्तियों पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को बढाकर 12.5 प्रतिशत किया है। असूचीबद्ध बॉन्ड, डेट म्युचुअल फंड्स पर मौजूदा टैक्स रेट लागू होंगे।
इस साल जिन राज्यों में चुनाव है, उन्हें क्या मिला?
इस साल महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड के साथ ही जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन राज्यों को क्या मिला-
महाराष्ट्रः आम बजट में नरेंद्र मोदी सरकार में गठबंधन वाली पार्टियों की सत्ता वाले आंध्र प्रदेश और बिहार का जिक्र तो आया लेकिन महाराष्ट्र का एक बार भी नाम नहीं लिया गया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुती सरकार इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में अपनी ताकत कायम रखना चाहती है। महायुती में भाजपा के साथ-साथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार के धड़े वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) शामिल है। हालांकि, इसके बाद भी बजट प्रस्तावों में महाराष्ट्र के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई है।
झारखंडः निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में झारखंड का नाम तो लिया लेकिन पूर्वी भारत के समग्र विकास के संबंध में जिक्र भर था। झारखंड में इंडिया ब्लॉक की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की सरकार है। सीतारमण ने कहा कि पूर्वोदय के तहत इन राज्यों में मानव संसाधन विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर और आर्थिक विकास के अवसरों के सृजन पर काम किया जाएगा ताकि विकसित भारत में पूर्वी भारत के राज्य इंजिन बन सके।
जम्मू-कश्मीरः केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को केंद्रीय बजट में 42,277 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ है। इस समय यह राज्य पूरी तरह से केंद्र सरकार के नियंत्रण में है। यह फंडिंग इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के साथ ही जनकल्याण कार्यक्रमों और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए की जा रही पहल पर खर्च होगी क्योंकि यह राज्य भी चुनाव की तैयारियों में जुटा है।
हरियाणाः महाराष्ट्र की ही तरह हरियाणा में भी भाजपा की सरकार है लेकिन केंद्रीय बजट में इसका जिक्र तक नहीं किया गया।
केंद्र में मोदी सरकार में शामिल गठबंधन सहयोगियों को क्या दिया?
केंद्रीय बजट में निर्मला सीतारमण ने बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए खजाना ही खोल दिया। बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जदयू सरकार है जबकि आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली टीडीपी सरकार। टीडीपी के 16 और जदयू के 12 सांसद हैं। 293 सदस्यों वाले एनडीए गुट में बहुमत के लिए यह दोनों ही पार्टियां अहम हैं।
बिहारः सीतारमण ने बिहार को आर्थिक सहायता का जिक्र अपने भाषण में किया। उन्होंने कहा कि बिहार के गया में इंडस्ट्रियल नॉड विकसित करने में केंद्र मदद करेगा। यह पूर्वी क्षेत्र में विकास को गति देगा। इसके अलावा पटना-पूर्णिया एक्सप्रेसवे, बक्सर-भागलपुर हाइवे, बोधगया-राजगिर-वैशाली-दरभंगा और बक्सर में गंगा नदी पर टू-लेन पुल बनाने के लिए 26 हजार करोड़ रुपये केंद्र सरकार देगी।
आंध्र प्रदेशः सीतारमण ने आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती को विकसित करने के लिए 15 हजार करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स को वित्तीय सहायता देने की घोषणा भी की है। उन्होंने कहा कि इस साल 15 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया है, जिसे आने वाले वर्षों में बढ़ाया जाएगा।
क्या नौकरियों में इजाफा होगा?
हां। सरकारी नौकरियां तो नहीं लेकिन प्राइवेट नौकरियों में इजाफा होगा। वह भी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में। सरकार का पूरा फोकस मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के उद्यमियों को मदद करने वाला दिख रहा है। एक करोड़ युवाओं को पांच साल में टॉप-500 कंपनियों में इंटर्नशिप का मौका देने की बात की गई है। इसके तहत युवाओं को हर महीने पांच हजार रुपये का भत्ता दिया जाएगा। कंपनियों को सीएसआर के तहत दस प्रतिशत राशि का भार उठाना पड़ेगा। राज्य सरकारों और उद्योगों के साथ मिलकर कौशल और सहयोग के लिए पांच साल की अवधि में 20 लाख युवाओं को कुशल बनाने का लक्ष्य है। एक हजार आईटीआई को हब एंड स्पोक सिस्टम में अपग्रेड करेंगे।
सरकार जिसे गेमचेंजर कह रही है, वह स्कीम एक लाख रुपये तक का वेतन वाले सभी नए कर्मचारियों से जुड़ी है। अधिकतम 15 हजार रुपये एक महीने के वेतन के तौर पर डीबीटी के तहत ट्रांसफर किए जाएंगे। ईपीएफओ में पंजीकृत नए लोगों को यह मदद मिलेगी। खास बात यह है कि यह राशि उन्हें ही मिलेगी, जिनका वेतन एक लाख रुपये प्रतिमाह से कम होगा। इस योजना से 2.10 करोड़ युवाओं को फायदा मिलने की उम्मीद की जा रही है। नई भर्ती करने पर कंपनियों को ईपीएफओ योगदान में दो साल तक हर महीने तीन हजार रुपये तक की प्रतिपूर्ति भी मिलेगी। उम्मीद की जा रही है कि 50 लाख नई नौकरियां आएंगी। महिलाओं की वर्क फोर्स में भागीदारी बढ़ाने के लिए हॉस्टल बनाने पर भी काम होगा। इसी तरह औद्योगिक क्षेत्रों में डोरमेटरी की तर्ज पर किराये से रहने के लिए आवासीय योजना पर भी पीपीपी मॉडल के तहत काम होगा।
क्या बिजनेस या स्टार्ट-अप शुरू करना आसान होगा?
कुछ हद तक। एक तो सरकार ने एंजिल टैक्स को घटाकर शून्य कर दिया है। यानी यदि कोई आपके बिजनेस में पैसा लगाता है तो उसे उस पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। इतना ही नहीं मुद्रा लोन के तहत मिलने वाली राशि भी दोगुना कर दी है। मुद्रा लोन के तहत अब तक दस लाख रुपये तक का लोन मिलता था, जिसकी सीमा बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी गई है। हालांकि, इसका लाभ उन्हें मिलेगा, जो पहले से लोन लेकर समय पर उसे लौटा चुके हैं। बड़े शहरों के पास बड़े स्तर पर सब्जी उत्पादन क्लस्टर विकसित किए जाएंगे। किसान उत्पादक संगठनों, कोऑपरेटिव्स और स्टार्टअप्स को सब्जियों के कलेक्शन, स्टोरेज और मार्केटिंग में मौके मिलने वाले हैं।
सरकार ने एमएसएमई के लिए भी बड़ी घोषणाएं की हैं। इसमें अहम है मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में क्रेडिट गारंटी स्कीम। मशीन और उपकरण खरीदने के लिए बिना किसी कोलेटरल या गारंटी के लिए कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा। इसके तहत 100 करोड़ रुपये तक की गारंटी दी जाएगी। इसके अलावा जो एमएसएमई इस समय संकट में है, उन्हें परेशानियों से निकालने के भी प्रस्ताव बजट में किए गए हैं। सभी प्रमुख एमएसएमई क्लस्टर में सेवाएं देने के लिए सिडबी की शाखाएं तीन साल में शुरू की जाएंगी। इस साल 24 शाखाएं खोली जा रही हैं। इससे कवरेज बढ़कर 242 में से 168 क्लस्टर में हो जाएगा।
घर खरीदने के सपने का क्या होगा?
स्टाम्प ड्यूटी कम होगी तो घर की लागत कम होगी। सरकार महिलाओं के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदने को प्रोत्साहित कर रही है। महिलाओं के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदने पर स्टाम्प ड्यूटी में छूट देने का आग्रह वित्तमंत्री ने राज्य सरकारों से किया है। यदि आपकी राज्य सरकार केंद्र के आग्रह को मान लेती है तो संपत्ति खरीदने की लागत कम होगी। इससे यह एक अच्छा निवेश विकल्प बनेगा।
बच्चों की पढ़ाई की लागत कम होगी या नहीं?
लागत तो कम नहीं होगी लेकिन उच्च शिक्षा के लिए पैसा जुटाना थोड़ा आसान होने वाला है। देश में स्थित उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई के लिए दस लाख रुपये तक के एजुकेशन लोन पर कुल लोन राशि पर तीन प्रतिशत तक की एनुअल इंटरेस्ट सबवेंशन का लाभ मिलेगा। इसके लिए एक लाख स्टूडेंट्स को सीधे ई-वाउचर दिए जाएंगे।