
पिछले साल मार्च में हुए बेलेश्वर मंदिर बावड़ी हादसे की मजिस्ट्रीयल जांच रिपोर्ट 9 बाद कोर्ट में पेश हुई। 226 पन्नों की इस रिपोर्ट में हादसे से जुड़े तमाम तथ्यों को रखा गया और मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष, सचिव, निगम के जोनल अधिकारी अफसरों को दोषी माना गया है। रामनवमी के दिन हुए इस हादसे में 36 लोगों की मौत बावड़ी में डूबने से हो गई थी। सभी शवों को घटना के 18 घंटों तक सेना के जवान बावड़ी से निकालते रहे।
जांच रिपोर्ट में बेलेश्वर मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव मुरली सबनानी को दोषी माना गया। दोनो को पता था कि बावड़ी के उपर निर्माण किया गया है। मंदिर के बोर्ड पर कही भी बावड़ी होने का उल्लेख नहीं किया गया। बावड़ी पर स्लैब डली होने की जानकारी के बावजूद उस पर ही हवन कराया जा रहा था और एक साथ भी भीड़ को एकत्र किया गया।
हवन के कारण पैदा हुई गरमाहट और भीड़ के बोझ के कारण यह हादसा हुआ। इसके लिए पूर्ण रुप से अध्यक्ष व सचिव दोषी है। रिपोर्ट में निगम के वर्तमान और तत्कालीन जोनल अधिकारी और भवन निरीक्षकों को इस आधार पर दोषी माना गया कि समय समय पर कुएं व बावड़ी का सर्वे होता हैै।
तत्कालीन जोनल अधिकारी को जब बावड़ी की जानकारी थी तो बावड़ी के सूचना संबंधी बोर्ड लगाने में लापरवाही की गई। पार्क में किसी भी तरह का निर्माण नहीं होना चाहिए। बावड़ी और पुरानी शिव पिंड के उपर मंदिर का निर्माण भवन अधिकारी और भवन निरीक्षक ने होने दिया, इसलिए वे भी दोषी है।
बावड़ी हादसे को लेकर हाईकोर्ट में पूर्व पार्षद महेश गर्ग, वकील प्रमोद दि्वेदी ने अलग-अलग याचिकाएं लगाई है। पिछली सुनवाई मेें कोर्ट ने मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा था। कोर्ट में अभी तक पुलिस ने चालान भी पेश नहीं किया।